सत्ता के फेर में फंस गई शिवसेना, NCP और कांग्रेस ने समर्थन पर नहीं खोले पत्ते

महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार बनाने की हर कोशिश में जुटी है. आदित्य ठाकरे समेत कई पार्टी नेताओं ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन में मुलाकात की. इसके बाद आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना नेताओं ने राज्यपाल को बताया कि वे सरकार बनाना चाहते हैं. उन्होंने दो दिनों का समय मांगा था लेकिन इतना वक्त राज्यपाल ने नहीं दिया.

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शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे. (PTI) शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे. (PTI)

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली/मुंबई,
  • 11 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:32 AM IST

  • महाराष्ट्र में सरकार बनाने की हर मुमकिन कोशिश जारी
  • शिवसेना को समर्थन पर एनसीपी-कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते

महाराष्ट्र में सोमवार की रात बेहद सियासी ड्रामे वाली रही. दोपहर में आसानी से शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार बनाती दिख रही थी, लेकिन शाम होते-होते स्थितियां ऐसी बदलीं कि शिवसेना खुद को ठगा सा महसूस करने लगी. राज्यपाल से शिवसेना ने 48 घंटे की मोहलत मांगी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद एनसीपी से राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए पूछा. इसके लिए उसे भी 24 घंटे का वक्त मिला है. इस अवधि के बीत जाने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के आसार हैं.

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शिवसेना इस समय सरकार बनाने की हर कोशिश में जुटी है. आदित्य ठाकरे समेत कई पार्टी नेताओं ने सोमवार शाम गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन में मुलाकात की. इसके बाद आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना नेताओं ने राज्यपाल को बताया कि वे सरकार बनाना चाहते हैं. उन्होंने दो दिनों का समय मांगा था लेकिन इतना वक्त राज्यपाल ने नहीं दिया. हालांकि राज्यपाल ने उनका सरकार बनाने का दावा नहीं ठुकराया. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पार्टियां (कांग्रेस और एनसीपी) की हमसे बातचीत चल रही है.

लेकिन सत्ता के फेर में शिवसेना फंसती नजर आ रही है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी शिवसेना को झटका कांग्रेस और एनसीपी दोनों की ओर से लगा. कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने ही अब तक शिवसेना को समर्थन नहीं दिया है. कांग्रेस ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की.

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पार्टी की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की आज बैठक हुई, जिसमें महाराष्ट्र की स्थिति को लेकर राज्य के कांग्रेस नेताओं से बातचीत हुई. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एनसीपी चीफ शरद पवार से बाचतीत की. फिलहाल कांग्रेस एनसीपी से ही बातचीत में जुटी है और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

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ऐसे में मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के ख्वाब देख रही शिवसेना के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है. अगर एक निश्चित समय में शिवसेना समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप नहीं पाई तो राज्यपाल अन्य विकल्प के बारे में सोचेंगे. इनमें से एक राष्ट्रपति शासन भी है. एनसीपी और कांग्रेस का शिवसेना को अब तक समर्थन पत्र न सौंपने पर कई सवाल खड़े होते हैं.

पहले खबर यह भी आई थी कि कांग्रेस बाहर से शिवसेना को समर्थन देगी लेकिन बाद में कांग्रेस के प्रेस नोट से यह खबर अफवाह साबित हो गई. एनसीपी और कांग्रेस ने अब तक शिवसेना के साथ जाने को लेकर अब तक पत्ते नहीं खोले हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सीधे तौर पर इस राजनीतिक घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. इन दोनों पार्टियों की टाल-मटोल के बीच शिवसेना फंसती नजर आ रही है और उसका इंतजार लंबा खिंचता नजर आ रहा है.  

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