महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. इसके बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महाजनादेश यात्रा पर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में जनता के जनादेश को स्वीकार किया और बीजेपी के महाजनादेश पर हमला बोला.
शिवसेना ने मुखपत्र 'सामना' में कहा कि यह सिर्फ जनादेश है और भारी जीत या क्लीन स्वीप नहीं है. दरअसल, मतदान से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की रैलियों को 'महाजनादेश यात्रा' कहा गया था.
उम्मीद के मुताबिक नहीं मिली जीत
असल में, महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में आए जरूर हैं. बीजेपी-शिवसेना की जोड़ी जीती, लेकिन नतीजे वैसे नहीं रहे जैसी उन्हें उम्मीद थी. जहां बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं वहीं उसकी गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं.
एनडीए सरकार की तस्वीर साफ होने के बाद गुरुवार की शाम शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान भी शिवसेना अध्यक्ष ने वही पुराने तल्ख तेवर दिखाए, जो वह चुनाव के पहले से दिखाते आ रहे थे. शिवसेना अध्यक्ष के मन में क्या है, इस पर भी उन्होंने खुलकर बोला. उद्धव ने साफ किया कि वह अपने 50-50 के फॉर्मूले पर अडिग हैं. मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? ये बड़ा सवाल है. यह मसला अहम है.
पुराना रुख बरकरार
शिवसेना अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी यहां आ सकते हैं. शिवसेना अध्यक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से एक बात साफ हो गई कि वह नरमी बरतने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है. शिवसेना ने हमेशा ही प्रदेश की सियासत में बड़े भाई की भूमिका की मांग की है.
पिछले चुनाव में इसी खींचतान में सीटों पर तालमेल न होने के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. हालांकि बाद में भाजपा 122 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, तब चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद शिवसेना सरकार में शामिल हुई थी.
हालात अलग
इस बार हालात अलग हैं. बीजेपी 122 सीटों से गिरकर 105 सीट पर सिमट गई है. वहीं शिवसेना पिछली दफे जीती 63 सीटों के आंकड़े दूर है है. ऐसे में उद्धव को लग रहा है कि बीजेपी पर दबाव बनाने का यही सही समय है. चुनाव से पहले भी बीजेपी, शिवसेना को उपमुख्यमंत्री का पद ऑफर करती रही है, लेकिन सेना मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए है. उद्धव के तेवर से एक बात तो स्पष्ट है कि शिवसेना बीजेपी को कम से कम पिछली बार की तरह आराम से सरकार नहीं चलाने देगी.
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