महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ जानिए किन 6 नेताओं ने ली मंत्री पद की शपथ

राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे ने गुरुवार शाम को शपथ ली. उनके साथ तीनों दलों के 2-2 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

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शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे ने ली शपथ शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे ने ली शपथ

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 28 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

  • महाराष्ट्र के 19वें सीएम बने उद्धव ठाकरे
  • उनके साथ 6 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई

महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर बदल चुकी है. महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार बन गई है. राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे ने गुरुवार शाम को शपथ ली. उनके साथ तीनों दल के 2-2 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

शिवाजी महाराज को नमन करते हुए मराठी भाषा में उद्धव ने शपथ ली. वह ठाकरे परिवार से पहले मुख्यमंत्री हैं. उद्धव के बाद कैबिनेट के अन्य मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. मंत्री पद की शपथ जयंत पाटिल, छगन भुजबल, एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, बालासाहेब थोराट और नितिन राउत ने ली. आइए जानते हैं इन मंत्रियों का सियासी करियर.

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जयंत पाटिल

जयंत पाटिल महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की साझा सरकार (1999 से 2008) में वित्त मंत्री बनाए गए. जयंत पाटिल के नाम महाराष्ट्र विधानसभा में 9 बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री आरआर पाटिल ने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद जयंत पाटिल को नया गृह मंत्री बनाया गया.

शरद पवार के बेहद करीबी नेताओं में शुमार किए जाने वाले जयंत राजाराम पाटिल महाराष्ट्र की राजनीति में जाना-माना नाम हैं. वह इस्लामपुर वालवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं. इससे पहले वह वित्त मंत्री और गृह मंत्री भी रहे हैं.

जयंत पाटिल इस्लामपुर वालवा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े. महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की साझा सरकार (1999 से 2008) में वित्त मंत्री बनाए गए. यह गठबंधन सरकार पूरे 10 साल चली थी. जयंत के नाम महाराष्ट्र विधानसभा में 9 बजट पेश करने का रिकॉर्ड है.

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छगन भुजबल

छगन भुजबल एनसीपी के दिग्गज नेता हैं. भुजबल महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. एक वक्त था जब वे बालासाहेब ठाकरे के भाषणों से बेहद प्रभावित थे. बाला साहेब की राह पर चलकर आक्रमक भाषण शैली अपनाने की वजह से वे शिवसेना के प्रमुख नेताओं की लिस्ट में शामिल हो गए. साल 1985 में मुंबई के मेयर भी चुने गए. बाला साहेब का भरोसा जीतने में भी छगन कामयाब रहे. बालासाहेब ने एक बार मुंबई के शिवाजी पार्क में एक रैली के दौरान उन्हें सम्मानित भी किया था.

1989 में बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन हुआ. राम मंदिर का मुद्दा देश में छाया हुआ था. जब 1990 में विधानसभा चुनाव हुए तो शिवसेना के 52 विधायक चुने गए. शिवसेना सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी. लेकिन विपक्ष के नेता बने मनोहर जोशी. जिस कुर्सी पर छगन भुजबल की नजर थी, उसके छूटते ही शीर्ष नेतृत्व से नाराज हो गए. अनबन ज्यादा दिन चली.

मनोहर जोशी के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह पाए, फिर उन्होंने शिवसेना छोड़ने का फैसला कर लिया. साल 1991 में भुजबल कांग्रेस में शामिल हो गए. शरद पवार उस वक्त कांग्रेस के बड़े नेता थे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा हुई कि शरद पवार ही उन्हें लेकर आए हैं. ओबीसी नेता के तौर पर भी छगन भुजबल जाने जाते रहे हैं.

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जब शरद पवार कांग्रेस से अलग जाकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई तब छगन भुजबल भी शामिल हो गए. साल 1999 में मुंबई से हार मिलने के बाद उन्होंने नासिक को अपना नया राजनीतिक ठिकाना बना लिया. साल 2004 से 2014 तक वे सार्वजनिक विभाग के मंत्री भी रहे. इस दौरान भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप उन पर लगे. मार्च 2016 में दिल्ली में निर्मित महाराष्ट्र सदन घोटाले में उन्हें गिरफ्तार किया गया. 2018 में जाकर उन्हें जमानत मिली.

बाला साहेब थोराट

बाला साहेब थोराट 8 बार विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख हैं. 288 विधायकों में से थोराट एकमात्र ऐसे विधायक हैं जिन्होंने 8 बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. बाला साहेब थोराट की गिनती महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है.

सुभाष देसाई

सुभाष देसाई की गणना शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में होती है. महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य सुभाष देसाई गोवेगांव से 1990, 2004 और 2009 में विधायक रह चुके हैं. 2014 में महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री संभाल चुके हैं. विधानसभा में शिवसेना के विधायक दल के नेता भी सुभाष देसाई साल 2009 से 2014 के बीच रह चुके हैं.

एकनाथ शिंदे

एकनाथ शिंदे शिवसेना के विधायक दल के नेता हैं. देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. एकनाथ शिंदे ठाणे को कोपरी पंचपखाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार 2004, 2009, 2014 और 2019 में जीत मिली. विधायक चुने जाने से पहले एकनाथ शिंदे ठाणे महानगर पालिका में दो कार्यकाल तक नगर सेवक भी रह चुके हैं.

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एकनाथ शिंदे की पकड़ ठाणे जिले में बेहद ज्यादा है. लोकसभा चुनाव और निकाय चुनावों में भी जिस उम्मीदवार को ये समर्थन कर दें, उसे जीत मिलनी तय मानी जाती है. अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके एकनाथ शिंदे की गिनती शिवसेना के कद्दावर नेताओं में होती है. 2014 में देवेंद्र फडणवीस सरकार में एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र राज्य सरकार में PWD के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था.

नितिन राउत

नागपुर से आने वाले दलित नेता नितिन राउत को मंत्री बनाया गया है. नितिन राउत महाराष्ट्र सरकार में पहले कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वो 2007–2009 में डिप्टी होम मिनिस्टर भी रहे थे. नितिन राउत समाजिका कार्यों से भी जुड़े हैं. वो 'संकल्प' नाम के एक एनजीओ से जुड़े हैं, जो दलितों और गरीबों के हितों के लिए काम करती है. बता दें कि शपथ ग्रहण से ठीक पहले पूर्व सीएम अशोक चव्हाण की जगह ऩितिन राउत को मंत्री बनाने का फैसला हुआ था. इसके पीछे आदर्श सोसायटी घोटाला वजह बताया जा रहा है.

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