लेकिन नतीजे वैसे नहीं आए, जिसकी बीजेपी-शिवसेना को उम्मीद थी. साल 2014 में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसमें बीजेपी ने 122 और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 17 सीटों और शिवसेना को 7 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा है. कहां तो बीजेपी 220 पार के नारे के साथ महाराष्ट्र के रण में उतरी थी. लेकिन शिवसेना के साथ चुनाव लड़ने का उसका फैसला उलटा पड़ गया.
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दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां कांग्रेस और एनसीपी पहले से ज्यादा मजबूत हुई हैं. 2014 में इन दोनों पार्टियों को मिलाकर 83 सीट मिली थीं. लेकिन इस बार आंकड़ा 98 हो गया है. सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए बुरा यह रहा कि फडणवीस सरकार में मंत्री रहे 9 बड़े चेहरे चुनाव हार गए. इसमें पंकजा मुंडे भी शामिल हैं. खास बात है कि 79 साल की उम्र में भी एनसीपी नेता शरद पवार ने धुआंधार प्रचार कर पार्टी के आंकड़े को 54 तक पहुंचा दिया.
आदित्य भी जीते
ठाकरे खानदान की ओर से पहली बार कोई चुनावी रण में उतरा. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने वर्ली विधानसभा सीट से आसानी से जीत हासिल कर ली. आदित्य की जीत के बाद शिवसेना के हौसले और बुलंद हो गए हैं. माना जा रहा है कि शिवसेना की नजर अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है. नतीजे आने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और तल्ख अंदाज में अपने इरादे जाहिर कर दिए. उन्होंने बीजेपी पर सत्ता में 50-50 का शिगूफा फेंक दिया है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार बनाने में 50-50 फॉर्मूले से समझौता नहीं किया जाएगा. हमने इसी पर गठबंधन किया है. हम बीजेपी पर दबाव नहीं डाल रहे हैं.
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फडणवीस ने बागियों को ठहराया जिम्मेदार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उम्मीदों के मुताबिक सीटें न आने पर बागियों पर ठीकरा फोड़ा है. हालांकि, फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना की मदद से सरकार बनाने जा रही है. गठबंधन में 50-50 फॉर्म्युले के बारे में सवाल करने पर फडणवीस ने कहा, "(बीजेपी और शिवसेना के बीच) जो भी तय हुआ है, वह सही समय आने पर बताया जाएगा." उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 5 वर्षों में बीजेपी का स्ट्राइक रेट सुधरा है. बीजेपी जितनी सीटों पर लड़ी, उनमें से 70 प्रतिशत सीटों पर जीत मिली है.
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बढ़ी एनसीपी और कांग्रेस की ताकत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस और एनसीपी की ताकत और बढ़ गई है. दोनों ही पार्टियों ने जबरदस्त वापसी की है. एनसीपी ने न सिर्फ अपनी स्थिति को और बेहतर किया बल्कि सतारा लोकसभा सीट पर हुआ उपचुनाव भी आसानी से जीत लिया. हालांकि एनसीपी ने शिवसेना के साथ हाथ मिलाने की अटकलों को खारिज कर दिया. पार्टी ने कहा, दोनों की विचारधारा अलग-अलग हैं. जनता ने हमें जनादेश विपक्ष में बैठने के लिए दिया है. हम वहीं बैठेंगे.
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