कोरोना वायरस महासंकट के बीच मध्य प्रदेश की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य सभी मंत्री अपनी तीस फीसदी सैलरी मुख्यमंत्री रिलीफ फंड में देंगे. शुक्रवार को राज्य सरकार ने ये फैसला किया.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से सभी सांसदों और विधायकों से ये योगदान करने की अपील की गई थी, जिसके बाद ये फैसला हुआ है. अब प्रदेश के सभी 22 जिलों के जिला खनिज फंड का तीस फीसदी इस्तेमाल भी कोरोना संकट के लिए किया जाएगा. इनमें बेड, पीपीई किट, वेंटिलेटर और अस्पताल से जुड़े सामान को खरीदा जाएगा.
राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि इसकी मॉनिटरिंग संबंधित जिले का प्रभारी मंत्री ही करेगा. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कोरोना संकट काफी तेजी से फैला है. खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अभी कोरोना से पीड़ित हैं और अस्पताल में हैं.
इतना ही नहीं प्रदेश सरकार के कई मंत्री, भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता भी कोरोना की चपेट में आ गए हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार ने किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम, राजनीतिक रैली, प्रेस कॉन्फ्रेंस समेत अन्य कार्यक्रमों पर 14 अगस्त तक रोक लगा दी है.
गौरतलब है कि कोरोना संकट के चलते राज्य सरकारों के फंड पर फर्क पड़ा है और अधिकतर खर्च हेल्थ सेक्टर में ही हो रहा है. इस बीच कई राज्य सरकारों ने मंत्रियों, विधायकों की सैलरी घटाने का फैसला किया था या फिर फंड को राहत कोष में देना तय किया था.
अभी मध्य प्रदेश में कुल मामलों की संख्या 30 हजार के करीब है, जबकि 9 हजार के करीब एक्टिव केस हैं. मध्य प्रदेश में कोरोना की वजह से 800 से अधिक लोगों की जान चली गई है.
रवीश पाल सिंह