मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. अब इसे लेकर सूबे में सियासत भी तेज हो गई है. इसे लेकर अब नया विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इसे साजिश बताते हुए विधायक का कोरोना टेस्ट किसी निष्पक्ष संस्था से कराने की मांग की है, वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधायक के संपर्क में रहे लोगों को जल्द क्वारनटीन में भेजने की मांग की है.
वहीं, विधायक के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अब विधानसभा में भी राज्यसभा चुनाव के लिए अलग से व्यवस्थाएं की जा रही हैं. कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने विधायक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग प्रभावित करने की कोशिश बताया है. उन्होंने कहा कि सैंपलिंग से लेकर रिपोर्ट देने तक का काम सरकार के अधीन है, ऐसे में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस विधायक को कोरोना पॉजिटिव बताया जाना साजिश है.
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उन्होंने प्रदेश के सभी विधायकों का राज्यसभा चुनाव से पहले किसी निष्पक्ष संस्था से कोरोना टेस्ट कराने की मांग की और कहा कि इससे सही नतीजे सामने आ सकेंगे. वहीं, भाजपा नेता हितेश वाजपेयी ने कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के संपर्क में आए पूर्व मंत्री जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के अन्य विधायकों को क्वारनटीन करने की मांग की है. दूसरी तरफ, विधायक के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद विधानसभा सचिवालय भी चिंतित है, इसलिए राज्यसभा चुनाव के लिए कोरोना को देखते हुए नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं.
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विधानसभा के प्रमुख सचिव ने आजतक से फोन पर बात करते हुए कहा कि अब विधायकों को सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा कि उन्हें या उनके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना है या नहीं? इसके अलावा वोटिंग के दिन विधानसभा में दाखिल होने से पहले सभी विधायकों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की जाएगी. उन्होंने बताया कि लक्षण पाए जाने पर सवास्थ्य विभाग की टीम उनकी जांच करेगी और अपनी निगरानी में वोट डलवाएगी.
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विधानसभा सचिवालय के अधिकारी ने बताया कि यदि कोई विधायक कोरोना पीड़ित होगा तो उसे पीपीई किट पहन कर और सभी सुरक्षा उपाय अपनाने के बाद ही उसे वोट डालने दिया जाएगा. ऐसे विधायकों के लिए अलग से व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि किसी और को समस्या नहीं हो. गौरतलब है कि प्रदेश की 3 रिक्त सीटों के लिए 19 जून को वोटिंग होनी है. तीन में से दो सीटें इस समय भाजपा, एक सीट कांग्रेस के पास है.
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बता दें कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से समीकरण बदल गए थे. हालांकि, हाल ही में कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद स्थिति एक बार फिर बदल गई है. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और फूलसिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुमेर सिंह सोलंकी और रंजना बघेल को उम्मीदवार है. तीन में से कांग्रेस और भाजपा की एक-एक सीट तो सुरक्षित है, लेकिन तीसरी सीट के लिए दोनों ही पार्टियां दम भर रही हैं. इसलिए एक एक विधायक का वोट बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.
रवीश पाल सिंह