टिड्डियों के हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ के किसानों की फसलें तबाह हो रही हैं. इस संकट से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग को लेकर 18 जून को बैठक होने वाली थी, लेकिन पाकिस्तान ने यह अहम मीटिंग टाल दी.
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अधिकारियों को मुनाबाव-खोखरापार बॉर्डर की चौकी पर मुलाकात होनी थी, लेकिन पाकिस्तान ने फिर से एक ऐसे मुद्दे पर सहयोग करने से इनकार कर दिया है, जिससे दोनों तरफ के किसानों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. सूत्रों का कहना है कि 18 जून को बैठक होनी थी, लेकिन पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से भारत को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इस सब के बीच, एफएओ (Food and Agriculture Organization) की ओर से एक ताजा चेतावनी जारी की गई है कि भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ जून में टिड्डियों के और हमले हो सकते हैं. भारत ने टिड्डी दल से निपटने के लिए पाकिस्तान और ईरान के समक्ष एक समन्वित दृष्टिकोण तैयार करने में मदद की पेशकश की थी.
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हालांकि, तेहरान ने अपने सिस्तान-बलूचिस्तान और दक्षिण खुरासान प्रांतों में टिड्डी नियंत्रण के लिए कीटनाशक की आपूर्ति करने को लेकर भारत की पेशकश का जवाब दिया, लेकिन पाकिस्तान चुप्पी साधे हुए है. भारत ने पाकिस्तान के समक्ष मैलाथियॉन कीटनाशक की आपूर्ति का प्रस्ताव रखा था.
द्विपक्षीय सहयोग
टिड्डी चेतावनी संगठन का संस्थागत तंत्र ऐसे सहयोग के लिए सक्रिय हो सकता है जो भारत में टिड्डियों के हमले के प्रभाव को कम करेगा. हालांकि इस खतरे से लड़ने के लिए कोई द्विपक्षीय सहयोग नहीं किया गया है, दोनों देशों ने फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) द्वारा प्रशासित एक फोरम के तहत आयोजित बैठकों में भाग लिया है.
भारत, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान दक्षिण-पश्चिम एशिया में रेगिस्तानी टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए एफएओ के आयोग का हिस्सा हैं. यह आयोग टिड्डियों के संकट को लेकर वैश्विक चेतावनी और रोकथाम प्रणाली के तहत तीन क्षेत्रीय आयोगों में से एक है.
गीता मोहन