लॉकडाउन डायरी/राजेंद्र शर्मा
देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग अप्रत्यक्ष रुप से कर वसूलने का काम 26 फरवरी 1948 से करता रहा है. बहात्तर साल की अवधि में इस विभाग का नाम बिक्रीकर विभाग, व्यापार कर विभाग, वाणिज्य कर विभाग से परिवर्तित होते होते एक जुलाई 2017 से देश भर में एक समान कर व्यवस्था जीएसटी लागू होने पर वर्तमान में राज्य कर विभाग है. विभाग का एकमात्र काम चूंकि राज्य के लिए कर वसूलना है.
लिहाजा राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों में साठ प्रतिशत से अधिक का योगदान करने के बावजूद राष्ट्रीय आपदा के समय यह विभाग आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत नहीं आता. इस कारण संकट के दिनों में विभाग की भूमिका नगण्य ही रहती थी परन्तु कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में विभाग ने अपनी दिशा बदली और अपनी नियत परिधि से बाहर आकर 22 करोड प्रदेशवासियों की सेवा में जुटा है.
बाईस मार्च की रात पहले लॉकडाउन की घोषणा से विभाग के स्तर पर यह मान लिया गया था कि चौदह अप्रैल तक घर पर ही रहना है परन्तु राज्य कर विभाग के अपर मुख्य सचिव 1986 बेंच के अनुभवी अधिकारी आलोक सिन्हा विभाग के अधिकारियों की क्षमताओं से वाकिफ थे. चौबीस व पच्चीस मार्च को लॉकडाउन में ग्रोसरी ( आटा, दाल, किराना ) न मिलने की खबरे आ रही थीं. ऐसे समय में अपर मुख्य सचिव आलोक सिन्हा व कमिश्नर राज्य कर विभाग अमृता सोनी ने राष्ट्रीय आपदा के इस संकट भरे दिनों में विभाग को उसकी नियत परिधि से बाहर लाकर विभाग की सकारात्मक और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का प्लान तैयार किया.
विभाग के सभी जोन के एडीशनल कमिश्नर को टेलीफ़ोनिक आदेश दिये कि प्रत्येक वार्ड, कालोनी, मोहल्ले में ऐसे पंजीकृत व्यापारियों की सूची तत्काल उपलब्ध करायें जो ग्रोसरी गुड्स, मैडीसन का व्यापार करते हो तथा होम डिलीवरी के लिए तैयार हो. लॉकडाउन में आफिस बंद, कोई कर्मचारी नही, कोई अभिलेख नही ,ऐसी दशा में फील्ड के अफसरों के लिए यह काम करना आसान नहीं था.
तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए अपर मुख्य सचिव के आदेशों का शत प्रतिशत अनुपालन के लिए पूरे प्रदेश के एडीशनल कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर , डिप्टी कमिश्नर ,असिस्टेंट कमिश्नर , वाणिज्य कर अधिकारी और कर्मचारी सब जुटे. सब काम टेलीफ़ोनिक ,व्हाटस अप और मेल से. फील्ड के अधिकारियों ने अपने यहां पंजीकृत ग्रोसरी और मैडीसन के डीलरों से बात की.
संकट की इस घड़ी में मुनाफे को महत्व न दे देश सेवा करने के लिये प्रेरित किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि जिस डीलर के पास पर्याप्त संख्या में होम डिलीवरी ब्वाय नहीं थे , उसने भी कहा कि सर मैं यह काम अपने बेटों से कराऊंगा , खुद करुंगा. इस तरह ग्रोसरी और मैडीसन के प्रदेश भर के ऐसे डीलरों की सूची जिसमें उनके नाम,पते और मोबाइल नंबर उपलब्ध थे, तैयार की गई.
अभी यह काम हो ही रहा था कि विभाग की कमिश्नर अमृता सोनी को यह ख्याल आया कि प्रदेश में विशेष रूप से बड़े शहरों में छोटे शहरों से , गांवों से छात्र / छात्राएं पढ़ने आते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं, युवक युवतियां ज़ांब करने आते हैं. यह लोग रूम रैन्ट पर लेकर खाना आसपास के ढाबो में खाते है. लॉकडाउन में यह लोग दुखी होंगे. ऐसे पंजीकृत डीलर की सूची भी तैयार कराई गई जो कूक्ड फ़ूड की होम डिलीवरी कर सकें.
प्रदेश भर में ऐसे ग्रोसरी, मैडीसन व कूक्ड फ़ूड की होम डिलीवरी करने वाले डीलरों की सूची तैयार होने पर साईट निर्माण का कार्य शुरू हुआ और पांच अप्रैल को विभाग ने http://supplymitra-up.com/ नामक वेबसाइट शुरु की ताकि इस साईट के माध्यम से प्रदेश के किसी भी अंचल में बैठा कोई भी व्यक्ति ग्रोसरी , मैडीसन , कूक्ड फ़ूड की होम डिलीवरी की सुविधा प्राप्त कर सके.
इस साईट के अलावा फ़ेसबुक पर https://m.facebook.com/Annapurna-Govt-of-Uttar-Pradesh-111629117158578/?ref=bookmarks तथा https://m.facebook.com/homedeliveryGovUP/?ref=bookmarks पेज बनाए गए ताकि अधिकाधिक लोंग इसका लाभ उठा सकें.
अपर मुख्य सचिव आलोक सिन्हा मानते हैं कि किसी नए प्रोजेक्ट की सफलता के लिए यह जरुरी है कि उसका फालोअप किया जाए. इसके लिए उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद में डिप्टी कमिश्नर स्तर के एक अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित कर उसका दायित्व निर्धारित किया गया कि किसी भी व्यक्ति को कोई दिक्कत न आए , यह उसकी जिम्मेदारी होगी. सिन्हा हर रोज स्वयं इसकी मानीटरिंग करते हैं. लॉकडाउन तक यह व्यवस्था लागू रहेगी.
पांच अप्रैल से प्रारम्भ की गई इस वेबसाइट के कारण लॉकडाऊन के शुरुआती दिनों के अलावा प्रदेश भर में ग्रोसरी, मैडीसन व कूकड फूड न मिलने की कोई खबर नही आई. लॉकडाउन में विभाग ने अपनी बनी बनाई छवि ,नियत कार्य क्षेत्र परिधि से बाहर जाकर संकट के इस दौर में अपनी बेहतर भूमिका अदा की है.
लेखक राजेन्द्र शर्मा उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग में वाणिज्य कर अधिकारी नोएडा के पद पर कार्यरत है. नौकरी में आने से पूर्व वर्ष 1984 से वर्ष 1986 तक नवभारत टाइम्स, जनसत्ता और दिनमान के लिए पत्रकारिता कर चुके है. कला और संगीत में विशेष रुचि. कला और संगीत विषयक आलेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित.
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