'बुलबुल' के कहर के बाद कोलकाता एयरपोर्ट फिर खुला, 4 जिलों में हुई भारी तबाही

शनिवार आधी रात चक्रवात बुलबुल के 24 परगना जिले में हिट करने की वजह से रविवार सुबह कोलकाता एयरपोर्ट से विमान संचालन एक बार फिर शुरू हो गया. अब तक इस समुद्री तूफान की वजह से भारत में तीन लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.

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पश्चिम बंगाल में तूफान से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर जाते ग्रामीण (फोटो: PTI) पश्चिम बंगाल में तूफान से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर जाते ग्रामीण (फोटो: PTI)

मनोज्ञा लोइवाल

  • कोलकाता,
  • 10 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

  • वापस शुरू हुआ कोलकाता एयरपोर्ट से विमान संचालन
  • बुलबुल ने पश्चिम बंगाल के चार जिलों में बरपाया कहर

बंगाल की खाड़ी में बने समुद्री चक्रवात बुलबुल ने रविवार तड़के पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ ही साथ भारत के दो राज्यों पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय इलाकों पर भी कहर बरपाया. कोलकाता एयरपोर्ट को एहतियातन 12 घंटे के लिए बंद कर दिया गया था. एयरपोर्ट को शनिवार शाम 6 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक बंद रखा गया था.

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शनिवार आधी रात चक्रवात बुलबुल के 24 परगना जिले में हिट करने की वजह से रविवार सुबह कोलकाता एयरपोर्ट से विमान संचालन एक बार फिर शुरू हो गया. अब तक इस समुद्री तूफान की वजह से भारत में तीन लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में दो और ओडिशा में एक व्यक्ति की मौत हुई है.

पश्चिम बंगाल के चार जिलों की बात करें तो इस समुद्री तूफान बुलबुल की वजह से दक्षिणी 24 परगना, उत्तरी 24 परगना, पूर्वी मिदनापुर और कोलकाता में करोड़ों की प्रॉपर्टी बर्बाद हो चुकी है. पिछले 24 घंटों से चल रही तेज हवाओं की वजह से सैकड़ों पेड़ पूरी तरह धराशायी हो चुके हैं . कुछ ही घंटों में 20 मिलीमीटर से ज्यादा की बारिश हो चुकी है.

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कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्रों में यातायात पूरी तरह से बाधित रहा इस वजह से लोगों को एक अजीब सा माहौल देखना पड़ा. इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी नियंत्रण कक्ष का दौरा किया और मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के साथ पूरी स्थिति की निगरानी में कई घंटे बिताए.

बुलबुल का असर सबसे अधिक सागर द्वीप पर पड़ा जहां तेज हवाओं और समुद्री लहरों की वजह से कई घर ध्वस्त हो गए. स्थानीय निवासियों को बाढ़ आश्रयों सहित सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. इसके साथ ही सरकारी अधिकारियों द्वारा उन्हें खाने-पीने की चीजें भी उपलब्ध कराई गई हैं.

लगभग 200 लोगों ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के सागर पायलट स्टेशन में शरण ली है . कमांडर, पायलट और कर्मचारियों द्वारा सागर पायलट स्टेशन के गलियारों में तूफान पीड़ित ग्रामीणों को भोजन परोसा गया.

स्थानीय निवासी सुजाता सान्याल ने उस भयावह घड़ी को याद करते हुए कहा, "तूफान की वजह से हमारा पूरा घर तबाह हो गया. पूरा अनाज बर्बाद हो गया है. बतखें, मुर्गियां, गायें और बकरियां सब मर गईं. हम बहुत परेशानी में हैं. हमें चिंता इस बात की है कि आज सुबह से हम क्या खाएंगे."

एक अन्य स्थानीय निवासी नीतेश सरदार ने अपना दुख साझा करते हुए कहा, "स्थिति बहुत ही भयावह है. हमारे घर की छत पर एक पेड़ गिर गया है. घर में बच्चे हैं. मुझे उनकी सुरक्षा के लिए उन सबको घर के कोनों पर ले जाना पड़ा. क्योंकि घर के बाहर जाने का कोई रास्ता ही नहीं था. मैं पेड़ को मेरा घर बर्बाद करते देखता रह गया. मैं पेड़ काटने के लिए रात में चढ़ा था और सुबह दो बजे तक काटता ही रहा. पड़ोस के एक अन्य घर पर भी पेड़ गिरा है. किसी की गाय मर गई. किसी का गाय का चारा बर्बाद हो गया. किसी का किचन बर्बाद हो गया. हम बहुत बुरी आपदा में हैं. हमारा बहुत नुकसान हुआ है. नुकसान की भरपाई में अगर सरकार हमारी कुछ मदद करती है तभी हम यहां रह पाएंगे. हम बहुत असहाय महसूस कर रहे हैं."

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विद्या सरदार ने कहा, "हमारे सारे घर तबाह हो चुके हैं. मेरी गाय मर गई. तीन लोगों के घर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं. अब हम कहां रहेंगे? हमारा बहुत नुकसान हुआ है." इलाके में बारिश भले ही अब बंद हो चुकी है लेकिन फिर भी जो नुकसान होना था वह हो चुका है.

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