दसवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स के बोर्ड एग्जाम के नतीजों को आए काफी समय हो गया है और अब तैयारियां कॉलेज में जाने की हो रही हैं. इसी के बीच हमने टीवी के कुछ सितारों से जानना चाहा कि उनके बोर्ड एग्जाम में कितने मार्क्स आए, आइए जानिए अपने पसंदीदा सितारों के अंकों के बारे मेः
मेरे बोर्ड एग्जाम हमेशा अच्छे रहे थे और नतीजे भी बढ़िया आते थे. मम्मी-पापा को भरोसा रहता था कि मेरे अच्छे नंबर आ ही जाएंगे. लेकिन वे मानते हैं कि किसी भी फील्ड या प्रोफेशन में सफलता हासिल करने के लिए अच्छे अंकों की जरूरत नहीं होती है. अच्छे मार्क्स लाने से ज्यादा मायने इनर टैलेंट रखता है.
तरुण स्वामी:
दसवीं क्लास में 72 प्रतिशत
बारहवीं क्लास में 70 प्रतिशत (कॉमर्स)
एजुकेशन बहुत जरूरी है. परसेंटेज न तो करियर बनाते हैं और न ही बिगाड़ते हैं, बस एडमिशन लेने में मायने रखते हैं. ओवरऑल पर्सेनेलिटी डेवलपमेंट मायने रखता है.
गुंजन उतरेजा:
दसवीं क्लास में 68 प्रतिशत
बारहवीं क्लास में 63 प्रतिशत (कॉमर्स एजुकेशन)
एकेडमिक्स में मार्क्स के महत्व से कोई इनकार नहीं कर सकता. लेकिन यह याद रखना चाहिए कि यह आपकी योग्यता तय नहीं करते हैं. इसलिए मेरा युवाओं से कहना है कि वे अपने चहुंमुखी विकास पर ध्यान दें. एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टिविटीज में हिस्सा लें. दोस्तों के साथ घूमें. किताबों पर पैसा खर्च करें. सेहत का भी ध्यान रखें. मैंने ताउम्र इसी बात पर यकीन रखा हैः डिग्री के पीछे मत भागो. दिल की बात सुनो. अपना सबु कछ लगा दो और फिर कामयाबी आपके पीछे आएगी.
दिव्यांका त्रिपाठी:
दसवीं क्लास में 65 प्रतिशत
बारहवीं क्लास में 78 प्रतिशत
एकेडमिक्स जरूरी है लेकिन एजुकेशन पूरी उम्र चलती रहती है. अपनी मनमर्जी की स्ट्रीम में दाखिला लेने के लिए मार्क्स और परसेंटेज बेहद जरूरी चीज है. लेकिन स्किल्स और पर्सनेलिटी भी करियर में काफी मायने रखती है. हर किसी में कुछ न कुछ टैलेंट होता है, हर किसी को उसको पहचानकर, उसी के मुताबिक काम करना चाहिए.
उन्होंने ग्रेजुएशन कॉमर्स और इंग्लिश में मास्टर्स की है. पढ़ाई कभी बेकार नहीं जाती है. लेकिन मार्क्स सब कुछ नहीं है, इनका ओवरऑल पर्सनेलिटी से कुछ लेना देना नहीं है. मार्क्स हमें यह समझने में मदद करती है कि हम अपने विषय की नॉलेज लेने में कितने सक्षम है. लेकिन और भी कई चीजें हैं.
स्कूली किताबों में जिंदगी की पढ़ाई बहुत ही कम होती है. असली सबक आप चीजों को तलाशने, सफल और असफल होकर सीखते हैं. जाहिर है मार्क्स सब कुछ नहीं है, पर्सनेलिटी का संपूर्ण विकास ही अहम है.
रिपुदमन हांडा:
दसवीं क्लास में 48 प्रतिशत
बारहवीं क्लास में 57 प्रतिशत
मेरे पास कॉमर्स थी, लेकिन उसमें मैथ्स नहीं था. शिक्षा जरूरी है. मैंने फूड लाइन में आने का फैसला किया और इसके लिए किताबी जानकारी की जरूरत नहीं है. अच्छे नंबर सफलता का पैमाना नहीं है. आप कैसा प्रदर्शन करते हैं यह मायने नहीं रखता.
एजुकेशन बहुत जरूरी है. परसेंटेज से हमेशा करियर तय नहीं होता है.
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