एसिड अटैक की मार झेल रही तबस्‍सुम के हौसले ने कायम की मिसाल

जानिए एसिड अटैक जैसे दर्दनाक हादसे का शिकार हो चुकी तबस्‍सुम ने कैसे जिंदगी के एग्‍जाम में सफलता हासिल की.

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Tuba Tabassum Tuba Tabassum

लिखी थी किस्‍मत में जो भी खुशियां, तेजाब ने सब जला दिया,
छुपाए फिरती हूं अपना चेहरा कि जैसे कोई गुनाह किेया है.
मेरी समझ में नहीं है आता न जाने कैसा ये माजरा है,
डरी हुई हूं मैं आईने से या आईने को डरा दिया है.
हमारी दुनिया में है अंधेरा हमें नहीं है मलाल उसका,
चिराग दिल का बुझा के हमने चिराग दिल का जला दिया है.
है हुक्‍म मौला सब्र करने के सब्र का फल अजीज होगा,
लिहाजा टूबा ने ख्‍वाहिशों को थपक-थपक कर सुला दिया है.
तू जीतकर भी न जीत पाया... मैं हारकर भी न हार पाया.

बेशक ये पढ़कर नाउम्‍मीद के अंधेरे में उम्‍मीद की रोशनी जागती है, ऐसी ही एक रोशनी है टूबा तबस्‍सुम. उनके जीवन में मुसीबतों के कई पहाड़ टूटे लेकिन इनका सामना करते हुए उन्‍होंने अपनी मंजिल को पाया या कहें आज भी उनका संघर्ष बिना जारी है. वे एसिड अटैक की मार झेल चुकी हैं, जिसके बाद भी उन्‍होंने हाल ही बिहार बोर्ड से 12वीं बोर्ड एग्‍जाम में 70 फीसदी नंबर हासिल किए हैं.

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कौन है टूबा तबस्‍सुम:
ये नाम आज इसलिए खास है क्‍योंकि उन्‍हें मिटाने के लिए मनचलों ने उनपर तेजाब फेका. तेजाब गिरने से बेशक उनका चेहरा पिघल गया लेकिन उनके हौसले नहीं.
उन पर यह हमला 26 सितंबर 2012 में हुआ था. वे अपने घर से सुबह ट्यूशन पढ़ने जा रही थी, तभी साथ पढ़ने वाले लड़के ने नाराजगी के चलते उन पर एसिड फेंक दिया. तबस्‍सुम की गलती इतनी थी कि वो उस लड़के से बात नहीं करना चाहती थी. इस जुर्म को अंजाम देने वाले भले ही जेल में हैं उन्‍हें इस हादसे को जिंदगी भर झेलना है.

मुश्किलों के बात भी पाई कामयाबी
तबस्‍सुम ने इंडिया टुडे की बातचीत में अपने जीवन के तमाम अनुभव साझा किए. अपनी सफलता पर उनका कहना था कि मुझे पढ़ाई के दौरान तमाम दिक्‍कतें आईं, फिर भी मैंने 70 फीसदी नंबर हासिल किए हैं. इस बात की मुझे खुशी है.

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आसान नहीं था सफर
अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए वो कहती हैं 'मेरे गांव में कोई कोचिंग और ट्यूशन की सुविधा नहीं थी. इसलिए मैं अपने पापा के साथ अपने गांव से बहुत दूर पढ़ने जाती थी. इस दौरान मुझे अपना चेहरा ढककर रखना होता था. ज्‍यादा देर पढ़ाई करना चाहूं तो नहीं कर सकती थी क्‍योंकि आंखों से आंसू निकल आते थे.

एसिड अटैक के बाद बदल गई दुनिया
खुद पर हुए एसिड अटैक के बारे में बताते हुए तब्‍बस्‍सुम कहती हैं कि मैं पहले भी मेहनती थी, मेरा सपना डॉक्‍टर बनाना था. ऐसा मुमकिन हो पाना आज पहले से कहीं ज्‍यादा मुश्किल हो गया है. मगर मेरे आज भी मजबूत हैं, मैंने ठान लिया है कि मैं डॉक्‍टर बनूंगी. मुझे सरकार से उम्‍मीद है कि वो मेरी मदद करे.

परिवार और टीचर्स ने मेरे जज्‍बे को बढ़ाया
मुश्किल हालात में उनका सपोर्ट परिवार ने किया. इस बारे में वो बताती हैं कि घर के लोगों और शिक्षकों की ओर से पूरी मदद मिली.

एसिड अटैक की मार झेल रहे लोगों के लिए संदेश
उन्‍होंने कहा कि सबसे पहले जरूरी है कि एसिड अटैक को रोका जाए. ये सिर्फ बुरा नहीं है बहुत दर्दनाक होता है. जिन पर मेरे जैसी बीती है उनसे यही कहूंगी कि वो लड़कियां हिम्‍मत नहीं हारें.

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सरकार से गुजारिश
एसिड पर बैन लगे और ऐसा बुरा काम करने वालों को कड़ी सजा मिले.

भविष्‍य के सपने
तबस्‍सुम से भविष्‍य के बारे में पूछे जाने पर वो कहती हैं कि मैं खुद को कामयाबी के मकाम पर देखना चाहती है. इसमें सरकार मेरी मदद करे.

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