आज महान सेनानायक बाजीराव पेशवा प्रथम की पुण्यतिथि है. बाजीराव पेशवा को लोग 'बाजीराव बल्लाल', 'थोरले बाजीराव' के नाम से जानते थे और उन्हें प्रेम से लोग अपराजित हिन्दू सेनानी सम्राट भी कहते थे. उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व एवं रणकौशल के बल पर मराठा साम्राज्य का विस्तार किया था. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कई प्रमुख बातें...
- बाजीराव पेशवा का जन्म ब्राह्मण परिवार में बालाजी विश्वनाथ राव के यहां 18 अगस्त 1700 ई. में हुआ था. 17 अप्रैल 1719 को तलवारबाजी में दक्ष, घुड़सवारी में निपुण, सर्वोत्तम रणनीतिकार और नेता के रूप में प्रख्यात बाजीराव प्रथम ने मात्र 20 वर्ष की आयु में शाही औपचारिकताओं के साथ पेशवा का पद ग्रहण किया.
- बताया जाता है कि उन्होंने लगातार 42 युद्ध लड़े और वो एक भी लड़ाई में नहीं हारे. कहा जाता है कि वे आजतक एक भी लड़ाई में नहीं हारे.
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- पेशवा बाजीराव प्रथम को हिंदू सेनानी के नाम से जानते थे, लेकिन उन्होंने कभी इस्लाम से संबंधी रीति-रिवाजों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया.
- वे 12 साल की उम्र में ही रणभूमि में आ गए थे. उनके पिता ने उन्हें कम उम्र में ही युद्ध लड़ना सीखाना शुरू कर दिया था.
- बाजीराव की मां राधाभाई पेशवा एक अच्छी प्रशासक थीं.
- उन्होंने 20 साल में 35 दुश्मनों से लड़ाई की और कोई भी योद्धा उन्हें हरा नहीं सका.
- उनकी बड़े युद्ध में मालवा (1723), धर (1724), औरंगादाबाद (1724), फिरोजाबाद (1737), पालखेड़ (1728) की लड़ाई प्रमुख थीं.
- मुगल शासक बाजीराव से डरते थे और उनसे मिलने से भी मना कर देते थे.
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- छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह वह बहुत कुशल घुड़सवार थे. घोड़े पर बैठे-बैठे भाला चलाना, बनेठी घुमाना, बंदूक चलाना उनके बाएं हाथ का खेल था. घोड़े पर बैठकर बाजीराव के भाले की फेंक इतनी जबरदस्त होती थी कि सामने वाला घुड़सवार अपने घोड़े सहित घायल हो जाता था.
- साल 2015 में उनके जीवन पर संजय लीला भंसाली ने बाजीराव-मस्तानी बनाई थी.
- बाजीराव शिव भक्त थे. युद्ध पर जाने से पहले वे 'हर-हर महादेव' का उद्घोष जरूर करते थे.
- 1740 का समय था, जब बाजीराव अपनी सेना के साथ खरगांव में थे, इतिहासकारों के मुताबिक इस यात्रा के दौरान बाजीराव को तेज बुखार हुआ था. यह बुखार कुछ हफ्तों तक चलता गया लेकिन कम होने की संभावना नहीं बनी. आखिरकार यही बुखार बाजीराव की मृत्यु का कारण बना.
मोहित पारीक