केरल ‘लव जिहाद’ केस: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- HC ने शादी को शून्य कैसे करार दिया?

NIA के मुताबिक हादिया ने जांच में NIA की भूमिका पर ही गंभीर सवाल उठाए हैं, जिन पर एजेंसी को आपत्ति है.  NIA का कहना है कि जांच में ऐसे कई सबूत मौजूद हैं जो इस मामले में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) की मुहिम से जुड़ाव की ओर इशारा करते हैं.

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अंकुर कुमार / खुशदीप सहगल / संजय शर्मा

  • नई द‍िल्ली,
  • 22 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केरल ‘लव जिहाद’ केस में सुनवाई 8 मार्च तक स्थगित कर दी. इस केस की धुरी अखिला अशोकन उर्फ हादिया ने जो जवाब दाखिल किया है, उस पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आपत्ति जताई है.

NIA के मुताबिक हादिया ने जांच में NIA की भूमिका पर ही गंभीर सवाल उठाए हैं, जिन पर एजेंसी को आपत्ति है.  NIA का कहना है कि जांच में ऐसे कई सबूत मौजूद हैं जो इस मामले में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS ) की मुहिम से जुड़ाव की ओर इशारा करते हैं.

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बता दें कि अखिला ने अपने घरवालों की मर्जी के बिना शफीन जहां नाम के शख्स से शादी कर ली थी और अपना नाम हादिया रख लिया था. जबकि लड़की के पिता का कहना था कि उसे बहला-फुसला कर शादी की गई. जबकि हादिया का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की थी और उस पर कोई दबाव नहीं था. शादी के वक्त हादिया और शफीन जहां, दोनों ही वयस्क थे.

सुप्रीम कोर्ट में हादिया के पति शफीन जहां की याचिका पर सुनवाई हो रही है. शफीन जहां ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उसकी हादिया के साथ शादी को रद्द कर दिया गया था.

मंगलवार को हादिया ने पति शफीन जहां के समर्थन में 26 पन्ने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था.

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NIA के मुताबिक केस से IS की मुहिम के जुड़ाव के साथ शफीन जहां के भी उसके लूप में होने के संकेत हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी कि भारत सरकार किसी भी नागरिक की विदेश यात्रा को रेगुलेट कर सकता है लेकिन दो वयस्क अगर आपसी सहमति से शादी करते है तो हाई कोर्ट शादी को रद्द नहीं कर सकता है. ना ही कोर्ट ये तय करेगा कि शादी सही है या गलत.

कोर्ट ने इसे और साफ करते हुए कहा कि अगर सरकार के पास ये जानकारी है कि किसी को मानव तस्करी के जरिए विदेश भेजा जा रहा है तो सरकार के पास ये शक्ति है कि उसे विदेश जाने से रोका जा सके. वहीं अखिला उर्फ़ हादिया के पिता अशोकन की तरफ से दलील दी गई कि आर्टिकल 226के तहत हाई कोर्ट को शादी को रद्द करने का अधिकार है. अशोकन की ओर से सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया कि NIA की ओर से उठाई गई आपत्तियों को कोर्ट ज़रूर सुने, इसके बाद उनका पक्ष भी सुना जाए.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि हादिया के हलफनामे में उन तथ्यों को नजरअंदाज किया जा सकता है जो शादी से संबंधित नहीं हैं, लेकिन सवाल ये है कि आखिर हाईकोर्ट ने शादी को शून्य कैसे करार दिया ?  केरल में 'लव जिहाद' मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. अखिला उर्फ हादिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह मुसलमान है और मुसलमान के तौर पर ही अपनी जिंदगी जीना चाहती है. हादिया ने अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि वह शफीन जहां की पत्नी है, जिससे शादी करने के लिए उसने इस्लाम धर्म अपनाया है.

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दरसअल पिछले साल 27 नवंबर को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच के सामने हादिया ने कहा था कि वह संविधान की ओर से मिली आजादी के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहती है. तब सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को उसके अभिभावकों के संरक्षण से मुक्त करते हुए उसे कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर होली के बाद 8 मार्च को सुनवाई करेगा, उसमें NIA के जवाब और लड़की के पिता अशोकन की दलील पर भी बहस आगे बढ़ेगी.

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