EXCLUSIVE: कश्मीर पर अगले हफ्ते सरकार की अहम बैठक, लागू होगा ये 'ट्रिपल फॉर्मूला'

सूत्रों की मानें तो कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगले हफ्ते एक अहम बैठक बुलाई है. देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारियों को मीटिंग में बुलाया गया है. इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, अर्धसैनिक बलों के बड़े अधिकारी और सेना के अफसर भी बैठक में शामिल होंगे.

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कश्मीर में हालात को लेकर फिक्रमंद सरकार कश्मीर में हालात को लेकर फिक्रमंद सरकार

गौरव सावंत / जितेंद्र बहादुर सिंह / मंजीत नेगी

  • श्रीनगर/ नई दिल्ली ,
  • 21 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

कश्मीर में लगातार बिगड़ते हालात ने केंद्र सरकार की फिक्र बढ़ा दी है और अब हालात को काबू में करने के लिए उपाय सोचे जा रहे हैं. आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर समस्या से निपटने के लिए कई बड़े कदम उठाने की तैयारी में है.

बैठक में बनेगी रणनीति
सूत्रों की मानें तो कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगले हफ्ते एक अहम बैठक बुलाई है. देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारियों को मीटिंग में बुलाया गया है. इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, अर्धसैनिक बलों के बड़े अधिकारी और सेना के अफसर भी बैठक में शामिल होंगे. उम्मीद है कि राज्य की सियासी पार्टयों के नेता और दूसरे संबद्ध गुटों के नुमाइंदे में बैठक में शामिल होंगे. हाल ही में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत और सीआरपीएफ के डीजी ने कश्मीर घाटी का दौरा करने के बाद गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है. माना जा रहा है कि बैठक में इन रिपोर्ट्स के आधार पर हालात को बेहतर बनाने के उपायों पर गौर किया जाएगा. सरकार के एजेंडा में पत्थरबाजों और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ ही सिविल सोसाइटी की मदद से लोगों के गुस्से को शांत करना शामिल है.

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विदेशी फंडिंग पर लगाम कसने की तैयारी
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी समस्या कश्मीर में अलगाववादियों को विदेशों से मिलने वाली फंडिंग है. उन्हें पाकिस्तान से तो पैसा मिलता ही है, खाड़ी देशों में भी कई संगठन अलगाववादियों की मदद करते हैं. लिहाजा सरकार के उच्च सूत्रों के मुताबिक सरकार कश्मीर में जमात ए इस्लामी की फंडिंग रोकने के लिए मध्य-पूर्व के कई इस्लामिक देशों से मदद मांग रही है. इसी सिलसिले में सेना ने ओमान के रक्षा महासचिव मोहम्मद बिन नासिर को घाटी की उत्तरी कमान के दौरे पर बुलाया है. इस कदम का मकसद जमात ए इस्लामी और खाड़ी देशों के बीच रिश्तों को तोड़ना है. सूत्रों का दावा है कि ओमान के मेहमान को घाटी में जमीनी हालात से रुबरु करवाया गया है. इसके साथ सेना जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों पर भी नजर बनाए हुए है. आने वाले तीन महीनों में आतंकियों के जमीनी समर्थकों पर कार्रवाई मुमकिन है.

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सत्ताधारी गठबंधन में मतभेद
लेकिन हालात को सुधारने के लिए राज्य में सत्ताधारी बीजेपी और पीडीपी के बीच ही एक राय कायम नहीं हो पा रही है. जहां बीजेपी चरमपंथियों के साथ सख्ती से पेश आने के हक में है, वहीं पीडीपी की राय है कि मसले से नरमी के साथ निपटा जाए. ये मतभेद राज्य में बीजेपी के मंत्री चंद्रप्रकाश गंगा के ताजा बयान से जाहिर हुए हैं. गंगा ने कहा था कि सेना को पथराव का जवाब गोलियों से देना चाहिए. जवाब में पीडीपी प्रवक्ता महबूब बेग ने कहा कि इसी तरह की सोच कश्मीर में बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार है.

बेकाबू होते हालात
कश्मीर में पिछले साल हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस हिंस में अब तक सैकड़ों नौजवान जान गंवा चुके हैं. इस महीने श्रीनगर लोकसभा उप-चुनाव के बाद स्थिति और खराब हुई है. सोशल मीडिया पर जवानों के साथ मारपीट और कश्मीरी युवाओं के साथ कथित ज्यादती के वीडियो आग में घी का काम कर रहे हैं. सेना ने उस वीडियो की जांच के आदेश दिये हैं जिसमें एक कश्मीरी युवा को जीप पर बांधकर घुमाते हुए देखा जा सकता है. जांच की रिपोर्ट अगले महीने सामने आएगी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 9 महीनों में 250 से ज्यादा नौजवानों ने हथियार उठाए हैं. घाटी में पुलिसवालों के परिवारों और सियासी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को रोज धमकियां मिल रही हैं.

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