जिद मनवाने में कुमारस्वामी कामयाब, JDS को वित्त और कांग्रेस के पास गृह मंत्रालय!

सूत्रों के मुताबिक जेडीएस अपनी बात मनवाते हुए वित्त मंत्रालय अपने पास रखने में कामयाब हो गया है. वहीं कांग्रेस के हिस्से में गृह मंत्रालय आया है.

Advertisement
कुमारस्वामी कुमारस्वामी

राहुल विश्वकर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ लेने के एक हफ्ते से भी अधिक समय बीतने के बाद आखिरकार अब जाकर जेडीएस और कांग्रेस में मंत्रालय का बंटवारा हो गया है. सूत्रों के मुताबिक जेडीएस अपनी बात मनवाते हुए वित्त मंत्रालय अपने पास रखने में कामयाब हो गया है. वहीं कांग्रेस के हिस्से में गृह मंत्रालय आया है.

मनपसंद पोर्टफोलिया नहीं मिलने के कारण ही अब तक मंत्रालय का बंटवारा नहीं हो सका था. शपथ लेने के बाद से ही कुमार स्वामी वित्त मंत्रालय अपने पास रखने पर अड़े थे, वहीं कांग्रेस इसे विभाग को अपने पास रखना चाहती थी. दोनों ही दल 'मलाईदार' मंत्रालयों को अपने पास रखना चाहते थे. अब सात दिन बाद जेडीएस और कांग्रेस में मंत्रालय के बंटवारे पर सहमति बन गई है.

Advertisement

मंत्रालय की खींचतान का मामला कर्नाटक में न सुलझते देख कुमारस्वामी ने दिल्ली तक दौड़ लगाई थी, लेकिन उस समय भी इसका हल नहीं निकला था. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी मां का इलाज कराने विदेश रवाना हो गए. ऐसे में ये मामला कुछ दिन और खिंच गया. लेकिन अब ये मामला सुलझता दिख रहा है.

कांग्रेस जहां जेडीएस से ज्यादा सीटें पाने  के बाद भी ड्राइविंग सीट पर नहीं बैठ सकी है, वहीं कुमारस्वामी कांग्रेस की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अहम मंत्रालय अपने पास रखने पर अड़े हैं.

आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

Advertisement

येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार भी बना ली, लेकिन विधानसभा में बहुमत नहीं जुटा पाने के चलते उनको तीसरे दिन ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

वहीं, जेडीएस और कांग्रेस के पास बहुमत से ज्यादा सीटें हैं. इस चुनाव में कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली. इस तरह दोनों दलों के विधायकों की संख्या बहुमत के लिए जरूरी 112 के आंकड़े से ज्यादा है. इसके आधार पर ही दोनों दलों ने गठबंधन कर लिया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement