लगता है, आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए गोवा और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने जल बंटवारे के मुद्दे को निबटाने की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कोशिश उलटी पड़ गई है. शाह के कहने पर बीती 21 दिसंबर को गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर और कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.एस. येदियुरप्पा के बीच एक बैठक हुई थी.
इसमें महादायी नदी से 7.56 टीएमसी पानी कर्नाटक को देने के लिए रखे गए पर्रीकर के प्रस्ताव का न केवल स्वयंसेवी संगठन, बल्कि कमजोर गठबंधन वाली गोवा सरकार के सदस्य भी जबरदस्त विरोध कर रहे हैं.
येदियुरप्पा ने इस कदम की 'सियासत' समझाई थी कि यह अतिरिक्त पानी उत्तरी कर्नाटक की प्यास बुझाएगा, जहां भाजपा मई में अगले विधानसभा चुनावों में बड़ी कामयाबी की आस में है. इस चुनाव में पानी का मुद्दा कर्नाटक विधानसभा की 223 सीटों में से कम से कम 25 सीटों के नतीजों पर असर डालेगा.
महादायी नदी कर्नाटक से निकलती है और वहीं इसका 78 फीसदी प्रवाह भी है. गोवा में इसे मंडोवी कहा जाता है, जहां की करीब 43 फीसदी आबादी अपनी पेयजल की जरूरतों के लिए इस पर निर्भर है. हालांकि पर्रीकर ने दावा किया है कि इस फैसले में गोवा के हितों से समझौता नहीं किया गया है. लेकिन उनके गठबंधन के अहम साझीदार, खासकर गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) का नेतृत्व साफ तौर पर इससे सहमत नहीं है.
जीएफपी नेता और राज्य के जल संसाधन मंत्री विनोद पालेकर कहते हैं, ''महादायी हमारे राज्य के लिए एकमात्र जल संसाधन है. हम लोगों के हितों से समझौता नहीं करेंगे.'' वहीं गोवा के पूर्व महाधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी कहते हैं कि महादायी को लेकर और भी ज्यादा भयावह योजनाएं हैं. वे कहते हैं कि असल मुद्दा उत्तरी कर्नाटक की पानी की जरूरत नहीं बल्कि महादायी पर आठ बांध बनाने की पड़ोसी राज्य की योजना है.
गोवा के पर्यावरणविदों के संगठन 'महादायी बचाओ अभियान' ने चेतावनी दी है कि नदी के पानी का रुख मोडऩे की कर्नाटक की योजना गोवा के पांच प्रमुख अभयारण्यों के लिए खतरे की घंटी हैं. उनका कहना है कि महादायी, बोंडला, महावीर, डॉ. सालिम अली पक्षी अभयारण्य और मोलेन नेशनल पार्क संकट में पड़ जाएंगे.
सिंचाई के वास्ते कर्नाटक 2002 से 7.56 टीएमसी पानी की मांग कर रहा है, पर गोवा ने इससे इनकार कर दिया, नतीजतन नवंबर, 2010 में ट्रिब्यूनल की स्थापना हुई.
अब भाजपा कर्नाटक में भी भारी विरोध का सामना कर रही है. हालांकि येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पर्रीकर के दिसंबर, 2017 के पत्र को विवाद 'सुलझने' के सबूत के रूप में प्रसारित किया है, लेकिन हजारों नाराज किसानों ने येदियुरप्पा पर 'धोखा देने' का आरोप लगाते हुए भाजपा के बेंगलूरू कार्यालय को घेर लिया.
मौके का फायदा उठाते हुए कर्नाटक कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले पर्रीकर और येदियुरप्पा पर नाटक करने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि किसानों ने येदियुरप्पा के झूठ को पकड़ लिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व में जनता दल (सेकुलर) के नेता भी भाजपा पर राज्य के किसानों के साथ 'विश्वासघात' का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में लग रहा है कि वोट को ध्यान में रखकर किया गया समझौते का दांव उलटा पड़ गया है.
किरण डी. तारे / संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर