नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ पॉपुलेशन के मुद्दे पर श्रीलंकाई तमिलों का इंटरव्यू लेने वाले दो पत्रकारों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. इन दोनों पत्रकारों ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भारत में रह रहे श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों से इंटरव्यू कर एक लेख लिखा था. इन दोनों पत्रकारों में एक रिपोर्टर और एक फोटोजर्नलिस्ट शामिल है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत श्रीलंका से आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है, इसे लेकर चेन्नई समेत तमिलनाडु के दूसरे शहरों में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हो रहा है. प्रदर्शन करे रहे लोगों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून में मुस्लिमों के साथ तो भेदभाव हो रहा है इस कानून में क्षेत्रीय पहचान के आधार पर भी भेद-भाव किया जा रहा है.
पत्रकारों पर FIR
तमिलनाडु के कई राजनीतिक दल श्रीलंकाई तमिलों को भी भारत में नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं. इस एफआईआर में कहा गया है कि, "दोनों पत्रकार अवैध रूप से रिफ्यूजी कैंप घुस गए और रिफ्यूजियों को CAA के खिलाफ भड़काने की कोशिश की." पत्रकारों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की गैर जमानती धाराएं लगाई हैं. इनमें धारा 447, धारा 188 और धारा 501 बी शामिल है.
कमल हासन ने किया विरोध
कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है. पार्टी ने कहा है कि पुलिस का ये कदम अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है. पार्टी ने मांग की है कि गैर जमानती धाराएं तुरंत हटाई जानी चाहिए.
डीएमके सांसद कनिमोझी ने ट्वीट कर कहा है कि एक लोकतंत्र में प्रेस पर इस तरह के हमले की कड़ी निंदा की जानी चाहिए, मेरी मांग है कि पत्रकारों के ऊपर से मामला जल्द से जल्द वापस लिया जाना चाहिए.
पुलिस ने इस मामले में अभी तक पत्रकारों को हिरासत में नहीं लिया है. तमिलनाडु पत्रकारों के संगठन ने पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर केसों को वापस लेने की मांग की है.
अक्षया नाथ