झारखंड की राजधानी रांची के प्रसिद्द पहाड़ी मंदिर में भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है. विश्व के सबसे प्राचीनतम पत्थरों से बने इस पहाड़ी के पत्थर दरकने लगे हैं. जिसकी वजह से इसके ऊपर बने शिव मंदिर सहित दूसरे अन्य मंदिर खतरे में आ गए हैं.
लोगों की आस्था का केंद्र इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. खासतौर से सावन के महीने के सोमवारी पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां कांवड़ से जल लाकर भोले शंकर को अर्पित करते हैं. ऐसे में दरकते चट्टानों और गिरते पेड़ों की वजह से बड़ा हादसा होने की संभावना बनी हुई है.
मंदिर के रास्ते भी खस्ताहाल
मंदिर की तरफ जानेवाली सीढ़ियों पर लगी मार्बल प्लेट्स टूट चुकी हैं. खासकर मुख्य मंदिर की तरफ जानेवाले रास्ते का बुरा हाल है. रही सही कसर सीढ़ियों के बीच बनी कंक्रीट के अर्ध-निर्मित पिलर ने पूरी कर दी है. पिलर की वजह से रास्ता काफी संकरा हो गया है. साथ ही सीढ़ियों पर बारिश की वजह से मिट्टी के कटाव से फिसलन हो गई है.
सीढ़ियों के किनारे लगे बैरियर भी दरक चुके हैं. पहाड़ी मंदिर के प्रवेश द्वार को पार करते ही सीढ़ियां टूटी-फूटी मिलने लगती हैं. सबसे खराब स्थिति पिलर के बगल से जलाभिषेक कर उतरने वाले रास्ते की है. इसके निर्माण को ज्यादा दिन भी नहीं हुए हैं, लेकिन सीढ़ी टूट गई है. टाइल्स का टुकड़ा बिखरा पड़ा है. लोहे के बनाये गए बैरियर मिट्टी कटाव के कारण अपने स्थान से हट गए हैं.
मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ
सावन के महीने के शुरू होने में महज एक हफ्ते से भी कम का समय शेष बचा है. लेकिन सोमवार के दिन होनेवाली भारी भीड़ को देखते हुए अभी तक मरम्मत का कोई काम नहीं हुआ है. बता दें कि पहाड़ी मंदिर परिसर की देखभाल की जिम्मेदारी प्रशासन की है. लोगों के इस तरफ ध्यान दिलाए जाने के बाद प्रशासन ने बैठक बुलाकर समस्या को दूर करने की बात कही है.
धरमबीर सिन्हा / देवांग दुबे गौतम