जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. लोग जानना चाहते हैं कि इससे आम लोगों का क्या फायदा होगा. लोगों के मन में घाटी की जमीनों की कीमत को लेकर भी कई तरह के सवाल हैं.
आम जनता के सवालों का जबाव जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने एक प्रचार जारी कर दिया है. प्रशासन ने कहा कि पूरे देश में जमीन की दरों में कई गुना वृद्धि हुई है, जबकि जम्मू और कश्मीर में कीमत उतनी नहीं बढ़ी है. लेकिन ये आने वाले समय में बदलेगा.
प्रशासन ने साफ किया है कि कोई भी ज़मींदार, जो अपनी ज़मीन बेचना चाहता है, बढ़ी हुई कीमतें से उसको फायदा होगा. हालांकि लोगों को जमीन और संपत्ति के नुकसान के बारे में डर है, जो सही नहीं है.
जमीन न बेचने की होगी आजादी
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी अपनी ज़मीन बेचना नहीं चाहेगा उसे ऐसा करने की पूरी आज़ादी होगी. धारा 370 हटाए जाने के कारण स्वामित्व में कोई बदलाव नहीं होगा.
इससे पहले लोग जमीनों के दाम के संबंध में तरह-तरह के कयास लगा रहे थे. सोशल मीडिया पर भी जम्मू-कश्मीर में प्लाट से संबंधित मीम्स भी शेयर किए जा रहे थे. लोग दावा कर रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में लोग जमीनें खरीदेंगे.
रोशनी एक्ट के तहत जमीनों के अवैध लेन-देन की होगी जांच
बता दें हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रोशनी एक्ट को लागू करने में बड़े पैमाने पर हुई धांधली के जांच के आदेश दिए गए हैं. रोशनी एक्ट का असली नाम जम्मू कश्मीर स्टेट लैंड (वेस्टिंग ऑफ ओनर्सशिप टू ऑक्यूपेंट्स) एक्ट, 2001 है.
इस कानून के तहत धोखाधड़ी से कीमती जमीनों को हड़प लिया गया था. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एंटी करप्शन ब्यूरो को ऐसे मामलों की जांच के आदेश दिए हैं.
जमीन ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर हुई थी धांधली
1990 के कटऑफ को पहले 2004 तक फिर 2007 तक बढ़ाया गया. इस दौरान जमीन ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर धांधली हुई. राज्य सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये आय का लक्ष्य रखा था, लेकिन उसे मात्र 6000 करोड़ रुपये हासिल हुए.
जांच के दौरान पता चला कि इस दौरान कौड़ियों के भाव जमीन ट्रांसफर किए गए. खेती की जमीन मात्र 100 रुपये प्रति कैनाल की दर से दिए गए. जम्मू-कश्मीर में ऐसे लोगों ने महंगी जमीनें हासिल की जो इसके पात्र थे ही नहीं. अब इन सभी मामलों की जांच कराई जाएगी.
कमलजीत संधू