जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक युवक को जीप से बांधकर ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले मेजर लितुल गोगोई को सम्मानित किए जाने को लेकर घाटी में विरोध बढ़ता दिख रहा है. विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, तो वहीं कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने सिटी सेंटर की तरफ मार्च निकालने की कोशिश की, हालांकि उन्हें सुरक्षा बलों ने रोक लिया.
वहीं मेजर लीतुल गोगोई ने अपने उस विवादास्पद कदम का बचाव किया है. चुप्पी ने उस घटना को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि 9 अप्रैल को बडगाम जिले के उटलीगाम में एक पोलिंग बूथ पर सुरक्षाकर्मियों के एक छोटे समूह को करीब 1200 पत्थरबाजों ने घेर लिया था और अगर उन्होंने फायरिंग का आदेश दिया होता तो कम से कम 12 जानें जातीं.
गोगोई ने उस दिन को याद करते हुए बताया कि सुबह साढ़े 10 बजे कॉल आई कि गुंडीपुरा में 1200 लोगों ने पोलिंग स्टेशन को घेर रखा है और उसे पेट्रोल बम से जलाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्विक रिस्पॉन्स टीम के साथ जब वे वहां पहुंचे, तो भीड़ ने उनके काफिले पर भी पथराव शुरू कर दिया. उन्होंने देखा कि एक युवक पत्थरबाजों को उकसा रहा है और उसी के नेतृत्व में ये पत्थरबाजी हो रही है. उन्होंने उसका पीछा किया तो युवक भागने लगा. लेकिन उनकी टीम किसी तरह उस युवक को पकड़ने में कामयाब रही.
मेजर गोगोई ने कहा कि जब उन्होंने उस युवक को पकड़ा तो पत्थरबाजी बंद हो गई. यहीं से उन्हें यह अचानक विचार आया कि बिना कोई बल-प्रयोग किए भीड़ से सुरक्षित बाहर निकलना है तो उस युवक को ही ढाल बनाना होगा. मेजर ने कहा, मैंने सिर्फ स्थानीय लोगों को बचाने की खातिर ऐसा किया. अगर मैंने गोली चलाई होती तो 12 से ज्यादा जानें जाती... इस विचार के साथ मैंने कई लोगों की जिंदगी बचाई.
वहीं इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि गोगोई के खिलाफ दायर FIR निरस्त नहीं की गई है और घटना की जांच जारी है. राज्य के पुलिस महानिरीक्षक मुनीर खान ने कहा, जांच की जाएगी और नतीजा साझा किया जाएगा. इसके अलावा गोगोई के खिलाफ थलसेना की कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी भी चल रही है.
साद बिन उमर