प्रतिबंधों पर बोला ईरान- दादागीरी छोड़े अमेरिका, अपने मंसूबों में कभी नहीं होगा सफल

अमेरिकी प्रतिबंधों पर ईरान ने कहा कि अमेरिका को अपनी सर्वाधिकारवाद और दमनकारी नीतियों को छोड़ना चाहिए. उसके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे. अब अमेरिका के सर्वाधिकारवाद का अंत हो चुका है और उसे दूसरे देशों के प्रति अपने व्यवहार को बदलना चाहिए.

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ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी (फोटो- रॉयटर्स) ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी (फोटो- रॉयटर्स)

राम कृष्ण

  • तेहरान/वॉशिंगटन,
  • 06 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST

अमेरिका द्वारा कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने से ईरान में हंगामा मच गया है. इन प्रतिबंधों से भड़के ईरान ने अमेरिका पर तीखा पलटवार किया है. ईरान ने कहा कि अमेरिका को अपनी दादागीरी को छोड़ देना चाहिए. बता दें कि सोमवार को अमेरिका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि अमेरिका ने भारत समेत 8 देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट दी है.

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इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी ने ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम कासमी के हवाले से कहा कि अमेरिका को अपनी सर्वाधिकारवाद और दमनकारी नीतियों को छोड़ना चाहिए. उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों के दावों को अमेरिका का ईरान के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध करार दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए ईरान को हराने में विफल रहा है. अमेरिका का मनोवैज्ञानिक युद्ध पूरी तरह फेल हो चुका है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका के सर्वाधिकारवाद का अंत हो चुका है और उसे दूसरे देशों के प्रति अपने व्यवहार को बदलना चाहिए. मालूम हो कि सोमवार को अमेरिका ने ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके तहत ईरान से तेल खरीदने और कारोबार करने वाले देशों और कंपनियों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का प्रावधान है.

ये वही प्रतिबंध हैं, जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने तीन साल पहले हटा दिए थे. ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम को स्थगित करने के बाद ओबामा प्रशासन ने ये प्रतिबंध हटाए थे. इसके तहत ईरान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस के बीच एक डील भी हुई थी.

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ईरान पर सख्ती से लागू रहेंगे प्रतिबंध: US

सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ईरान पर जारी यूएस के प्रतिबंध सख्ती से लागू रहेंगे, लेकिन भारत समेत आठ देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट दी गई है. हालांकि यह मोहलत अस्थायी है.

पोम्पियो ने कहा, 'हमने खास परिस्थितियों को देखते हुए और बाजार में पर्याप्त मात्रा में तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुछ गिने-चुने देशों को ईरान से तेल आयात की छूट अस्थायी रूप से देने का फैसला किया है. अमेरिका यह छूट चीन, भारत, इटली, यूनान, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को देगा.'

इसके साथ ही उन्होंने संकल्प जताया कि ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका हर संभव प्रयास करता रहेगा. उन्होंने कहा कि इन देशों ने पहले ही महीने से ईरान से कच्चे तेल की खरीद पहले ही काफी कम कर दी है.

तेल का बड़ा आयातक है भारत

भारत और चीन, ईरान से कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं. पोम्पियो ने कहा कि इन 8 में से दो देश पहले ही ईरान से कच्चे तेल का आयात शून्य पर ले आए हैं और जबतक पाबंदी रहेगी, वे आयात शुरू नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, 'हम सभी देशों से आयात शून्य स्तर पर लाने को लेकर बातचीत जारी रखेंगे.'

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अमेरिका इससे पहले चाहता था कि भारत सहित सभी देश ईरान से पूरी तरह से तेल आयात बंद करें लेकिन यदि ऐसा होता तो कच्चे तेल के बाजार में भारी उठापटक होने का खतरा बढ़ जाता. संभवत: यह विचार कर कुछ देशों को इसमें छूट दी गई है, ताकि वह धीरे-धीरे ईरान से तेल की खरीदारी बंद कर सकें.

भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा बड़ा उपभोक्ता देश है. अपनी कुल जरूरत का 80 प्रतिशत आयात के जरिए पूरा करता है. इराक और सउदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है.

डोनाल्ड ट्रंप के तेवर सख्त

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था. ट्रंप ने कहा था कि वो ईरान को परमाणु मुद्दे पर फिर से बातचीत की मेज पर वापस लाना चाहता है. अमेरिकी सरकार यह भी कह चुकी है कि वह साइबर हमले, बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण, पश्चिम एशिया में आतंकी समूहों का समर्थन जैसी ईरान की 'घातक' गतिविधियों को रोकना चाहती है.

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