देश की बागडोर असल मायने में अफसरों के हाथ में होती है. यदि नौकरशाही दुरुस्त हो तो कानून-व्यवस्था चाकचौबंद रहती है. जिस तरह से भ्रष्टाचार का दीमक नौकरशाही को खोखला किए जा रहा है, लोगों का उससे विश्वास उठता जा रहा है. लेकिन कुछ ऐसे भी अफसर हैं, जो अपनी साख बचाए हुए हैं. उनके कारनामे आज मिशाल के तौर पर पेश किए जा रहे हैं. aajtak.in ऐसे ही पुलिस अफसरों पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में पेश है NSA और पूर्व IPS अफसर अजीत डोभाल की कहानी.
NSA अजीत डोभाल की दिलचस्प दास्तान
- उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ था. इनके पिता इंडियन आर्मी में थे.
- अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद इन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्टग्रेजुएशन किया है.
- 1968 केरल बैच के IPS अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे.
- अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है. कहा जाता है कि वह छह साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे.
- साल 2005 में एक तेज तर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए.
- इसके बाद साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट बने. इस दौरान न्यूज पेपर में लेख भी लिखते रहे.
- साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'आपरेशन ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया था.
- उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी.
- अजीत डोभाल साल 1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार थे.
- जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर कराया था.
- अजीत डोभाल 33 साल तक नार्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम ऑपरेशन किए हैं.
- 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.
- प्रधानमंत्री मोदी के करीबी अफसर अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान उनकी क्षमता से थर-थर कांपता है.
- साल 1988 में अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अफसर थे.
मुकेश कुमार