अंडमान: सेंटिनल द्वीप पहुंचे US नागरिक को आदिवासियों ने तीर से मारा

अंडमान का उत्तरी सेंटिनल द्वीप सेंटनलीज जनजाति समूह का संरक्षित क्षेत्र है. ये अपने क्षेत्र में बाहरी दुनिया के लोगों की आमद स्वीकार नहीं करते.

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जॉन एलन चाऊ, अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ, अमेरिकी नागरिक

विवेक पाठक

  • चेन्नई,
  • 21 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST

अंडमान निकोबार के सेंटिनल द्वीप पर अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की संरक्षित सेंटेनलीज आदिवासियों द्वारा कथित हत्या की परतें अब खुलने लगी हैं. मामले की जांच कर रही सीआईडी के एसपी दीपक यादव ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में बताया है कि किस तरह संरक्षित सेंटेनलीज आदिवासियों तक पहुंचने की जिद में चाऊ को अपनी जान गंवानी पड़ी.

सीआईडी के एसपी दीपक यादव के मुताबिक अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ 16 अक्टूबर को अंडमान निकोबार पहुंचा था. और उसने सेंटेनलीज आदिवासियों से मिलने की इच्छा जाहिर की. यह आदिवासी समूह बाहरी लोगों के साथ कोई संपर्क नहीं रखता और अपने पास आने वालों पर तीरों की बौछार कर देता है. 14 नवंबर को सात मछुआरों की मदद से चाऊ उस जंगल तक पहुंचा जहां यह आदिवासी समूह रहता है.

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दीपक यादव के मुताबिक चाऊ जंगल में अंदर गया, चाऊ खुद को मछुआरों के भेष में छिपाना चाह रहा था, लेकिन जब वो और भीतर गया तब मछुआरे उनसे कुछ दूरी पर ही रहे. कुछ ही देर बाद एक मछुआरे ने उसके शव को देखा, जिसे आदिवासी दफना रहे थे. चाऊ की हत्या तीर से की गई थी. लेकिन उसके शव को वापस नहीं लाया जा सका.

उन्होंने कहा कि इस द्वीप में जाने पर प्रतिबंध है. लिहाजा उनके शव का पता लगाने और स्थिति का जायजा हवाई मार्ग से लिया जा रहा है. यह सात मछुआरे इस घटना के गवाह हैं और इन्होंने ही घटना के बाद मुख्य द्वीर पर जाकर चाऊ के दोस्त को इस बारे में सूचित किया और उन्होंने उसके परिवार वालों को सूचना दी. मछुआरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर लिया गया है, क्योंकि उन्होंने अमेरिकी नागरिक को प्रतिबंधित द्वीप पर जाने में मदद की थी.

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गौरतलब है कि हाल तक उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर बाहरी लोगों का जाना मना था . इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुये सरकार ने संघ शासित इलाकों में इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को 31 दिसम्बर, 2022 तक प्रतिबंधित क्षेत्र आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था. आरएपी को हटाने का आशय यह हुआ कि विदेशी लोग सरकार की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जा सकेंगे.  

सीआईडी के एसपी दीपक यादव के मुताबिक यह आदिवासी समूह संवेदनशील हैं और इस इलाके में 60,000 साल से रह रहे हैं. इनसे संपर्क नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह संरक्षित समूह बाहरी दुनिया से संपर्क में आने पर रोग की चपेट में आ सकता है. उन्होंने कहा कि कोस्ट गार्ड और नौसेना लगातार इस इलाके में पेट्रोलिंग के जरिए लोगों को प्रवेश से रोकती है.

सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ एक ईसाई मिशनरी से जुड़ा था और वो इन आदिवासियों को कनवर्ट करने के साथ एडवेंचर करना चाहता था. यह पहली बार नहीं है जब इन आदिवासियों किसी की हत्या की है, इससे पहले 2006 में इस आदिवासी समूह ने दो मछुआरों की हत्या कर दी थी.

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