डॉक्टर का 500 का नोट लेने से इनकार, इंतजार में नवजात की गई जान

देशभर में 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने की कीमत गोवंडी में एक नवजात बच्चे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. यहां के जीवन ज्योत हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम के डॉक्टरों ने उसका इलाज करने के लिए इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके माता-पिता के पास सिर्फ 500 रुपये के ही नोट थे. समय पर इलाज न मिलने के कारण अगले दिन बच्चे ने दम तोड़ दिया.

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समय पर इलाज न मिलने की वजह से नवजात ने तोड़ दिया दम समय पर इलाज न मिलने की वजह से नवजात ने तोड़ दिया दम

मोनिका शर्मा

  • मुंबई,
  • 12 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

देशभर में 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने की कीमत मुंबई के गोवंडी में एक नवजात बच्चे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. यहां के जीवन ज्योत हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम के डॉक्टरों ने उसका इलाज करने के लिए इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके माता-पिता के पास सिर्फ 500 रुपये के ही नोट थे. समय पर इलाज न मिलने के कारण अगले दिन बच्चे ने दम तोड़ दिया.

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कारपेंटर का काम करने वाले बच्चे के पिता जगदीश शर्मा शुक्रवार को शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो उन्हें एक लेटर लिखने की सलाह दी गई, जिसे बाद में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल को भेजने की बात कही गई.

नर्सिंग होम ने 500 के नोट लेने से किया इनकार
मंगलवार की शाम सरकार की तरफ से 500 और 1000 के नोट को बंद करने के ऐलान के दौरान साफ तौर पर कहा गया था कि सरकार अस्पतालों में ये नोट फिलहाल चलते रहेंगे लेकिन बावजूद इसके कई जगहों पर इन नोटों को लेने से इनकार किए जाने के मामले सामने आए हैं. कुछ अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.

समय से पहले दिया बच्चे को जन्म
नवजात की मौत के मामले में बच्चे की मां किरण का इलाज इस नर्सिंग होम की डॉ. शीतम कामथ 18 अप्रैल से कर रही थी. 500/1000 के नोट पर बैन लगाए जाने के ऐलान से एक दिन पहले यानी 8 नवंबर को किरण के टेस्ट हुए, जिसके बाद उन्हें बताया गया कि डिलीवरी 7 दिसंबर के आसपास होगी. लेकिन 9 नवंबर को किरण को अचानक लेबर पेन शुरू हो गया और रिश्तेदार और पड़ोसियों की मदद से उन्होंने बच्चे को जन्म दिया.

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बैंक और एटीएम बंद होने की वजह से नहीं बदले जा सके रुपये
मां और बच्चे की हालत खराब होने की वजह से दोनों को नर्सिंग होम लाया गया. डॉ. कामथ ने शुरुआती इलाज देने के बाद उन्हें भर्ती करने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि जगदीश के पास 100 के नोट नहीं थे. 6000 रुपये जमा कराने के लिए उनके पास सिर्फ 500 के नोट ही उपलब्ध थे. बैंक और एटीएम बंद होने की वजह से वो नोट भी नहीं बदल सके.

नहीं पिघला डॉक्टर का दिल
परिवार के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद डॉक्टर का दिल नहीं पिघला और उन्होंने किरण और बच्चे को वापस भेज दिया. शुक्रवार को बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे चेंबुर के डॉ. अमित शाह के यहां ले जाया गया लेकिन इस दौरान उसने दम तोड़ दिया.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत ने इस मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें शिकायत मिलती है तो उसे महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल को भेजा जाएगा और जरूरी कार्रवाई की जाएगी.

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