1 साल...3 देश, हर बार इंडियन आर्मी ने दिखाया अपना पराक्रम

चाहे वो लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर सर्जिकल स्ट्राइक करना हो या डोकलाम विवाद पर चीन की घुड़कियों की परवाह न करते हुए सिक्किम क्षेत्र में अंगद की तरह पांव जमाकर खड़ा हो जाना या फिर बर्मा बॉर्डर पर उग्रवादियों को मारना. सेना ने अपने पराक्रम से देशवासियों का दिल जीत लिया है.

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे

नंदलाल शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 28 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों को नेस्तनाबूद करने वाली भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल हो गए हैं. इन 12 महीनों के दौरान भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से दुनिया को बता दिया है कि भारतीय सेना कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से लेकर बर्मा बॉर्डर तक हिंदुस्तानी सरजमीं की पूरी मजबूती से निगहबानी कर रही है.

चाहे वो लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर सर्जिकल स्ट्राइक करना हो या डोकलाम विवाद पर चीन की घुड़कियों की परवाह न करते हुए सिक्किम क्षेत्र में अंगद की तरह पांव जमाकर खड़ा हो जाना या फिर बर्मा बॉर्डर पर उग्रवादियों को मारना. सेना ने अपने पराक्रम से देशवासियों का दिल जीत लिया है.

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PoK में पाकिस्तानियों को सिखाया 'सर्जिकल स्ट्राइक' से सबक

28-29 सितंबर 2016 की रात को ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक को भारतीय सेना ने अंजाम दिया. अमावस्या के पहले की घनेरी मध्य रात में शुरू हुआ ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक्स. एलओसी के पार सेना की इलीट कमांडो टीमें बैरीकेड्स से फिसलते हुए अंधेरे में अदृश्य हो गईं.

पैदल ही पहुंचे इन कमांडो की ना तो पाकिस्तानी रडार और ना ही हवा में पूर्व चेतावनी देने वाला एयरक्राफ्ट कोई टोह ले सका. ठीक उसी वक्त 30 पैरा कमांडो को काफी ऊंचाई पर खुलने वाले विशेष हाहो पैराशूट्स से उतारा गया. ये पैराट्रूपर्स 35,000 फीट की ऊंचाई से कूदे. ये इसलिए किया गया कि पाकिस्तानी रडार और श्रव्य उपकरण उन्हें पकड़ ना पाएं.

जीपीएस गैजेट्स से लैस ये कमांडो ठीक उन्हीं जगह पर उतरे जैसा कि सोचा गया था. यानी पीओके के अंदर आतंकी ठिकानों के पास. इसी के साथ कमांडो की सात और टीमें भी अपने अपने लक्षित आतंकी ठिकानों तक बिना कोई भनक दिए पहुंच गईं. पैरा कमांडो टेवर 21 और एके-47 असाल्ट राइफल्स के साथ ही रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स और रूसी थर्मोबेरिक हथियारों से लैस थे.

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चीते की तेजी और पूरे समन्वय के साथ स्निपर्स ने साइलेंसर्स लगे हथियारों से आतंकी ठिकानों के बाहर पहरेदारों को हमेशा के लिए शांत किया. उसी वक्त कमांडोज ने फुर्ती के साथ शेल्टर में घुसकर भारी गोलीबारी में आतंकियों को ठिकाने लगाया. सब कुछ इतनी तेजी से कि दुश्मन को कुछ सोचने का भी वक्त नहीं मिला. आग के तूफान की तरह आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के साथ वहां मौजूद रॉकेट लॉन्चर्स और मशीनगन्स भी भारतीय जांबाज साथ ले आए.

पाकिस्तानी सेना को ऐसे रखा भ्रम में

रात करीब ढाई बजे भारतीय आर्टिलरी यूनिट्स ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को भ्रम में रखने के लिए उनकी चौकियों को निशाना बनाकर गोलाबारी करना शुरू किया. पाकिस्तानी सैनिकों की और से भी जवाबी फायरिंग की गई. इसी शोरगुल के बीच भारतीय कमांडो ने लौटना शुरू किया. उनकी तरफ पाकिस्तानी सैनिकों का ध्यान ही नहीं गया.

दुश्मन के सैनिक भारतीय फायरिंग का जवाब देने के लिए तेजी से अपने बंकरों की ओर भागे. इस बीच भारतीय स्पेशल फोर्सेज टीमों को अपने क्षेत्र में बिना किसी चुनौती का सामना किए लौटने का मौका मिल गया. दुश्मन पूरी तरह धोखे में रहा. पाकिस्तानी सेना को पता भी नहीं चला कि किस आफत ने उन्हें निशाना बनाया.

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इस पूरे ऑपरेशन में हमारे एक कमांडो का पैर लौटते वक्त बारूदी सुरंग पर पड़ गया जिससे वो घायल हो गया. इसके अलावा किसी जवान को कोई क्षति नहीं पहुंची. ये टेक्स्ट बुक की तरह पूरी तरह सटीक ऑपरेशन था. इस पूरे ऑपरेशन की वीडियोग्राफी स्पेशल फोर्सेज कमांडो के हेलमेट पर लगे कैमरों से की जाती रही. पैरा कमांडो ने स्टिल कैमरा से से तस्वीरें भी ली. इनके अलावा आसमान से यूएवी और नीची कक्षा वाले एनटीआरओ सैटेलाइट से भी पूरे एक्शन को फिल्माया गया.

सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना अपने उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब रही. सभी कमांडो 29 सितंबर को सुबह 9 बजे तक अपने अपने बेस में लौट आए. ऑपरेशन की समीक्षा के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई गई. सुबह 11 बजे के पास डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) ने प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान में अपने समकक्ष को पीओके में भारत के कामयाब ऑपरेशन से अवगत कराया गया.

2. डोकलाम में चीनी ड्रैगन ने घुटने टेके

सिक्किम सीमा सेक्टर के पास डोकलाम में भारत और चीनी सेना दो महीने से भी ज्यादा समय आमने-सामने रहीं. यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब इस इलाके में चीनी सेना द्वारा किए जाने वाले सड़क निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया. भारत की चिंता थी अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब रहता है तो उसके लिए कभी भी उत्तर-पूर्व के हिस्से तक शेष भारत की पहुंच को रोक देना आसान हो जाएगा. डोकलाम इलाके को भूटान अपना मानता है, लेकिन चीन का दावा है कि यह उसके क्षेत्र में आता है.

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लद्दाख में भी हुई थी भिड़ंत

इस विवाद के बीच भारत और चीन की सेनाओं के बीच 15 अगस्त को पेंगोंग झील के पास टकराव की स्थिति आ गई. भारतीय सैनिकों ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसने की चीनी सैनिकों की कोशिश को नाकाम कर दिया था, जिसके बाद पथराव हुआ और उसमें दोनों तरफ के लोगों को मामूली चोटें आईं. गतिरोध लगभग आधे घंटे तक चला और फिर दोनों पक्ष वापस चले गए. घुसपैठ की कोशिश में नाकाम होते देख चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. पत्थरबाजी से दोनों तरफ के सैनिकों को हल्की चोटें आईं.

बाद में राजनीतिक स्तर पर हुई बातचीत के बाद दो महीने से ज्यादा चले डोकलाम विवाद को भूलते हुए भारत और चीन की सेना ने डोकलाम से पीछे हटने का फैसला लिया. इसके बाद सिक्किम सीमा क्षेत्र में आमने-सामने खड़ी दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं. लेकिन, भारतीय सेना ने पराक्रम से साबित कर दिया कि किसी भी हालात में वह सीमा की रक्षा करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है.

3. म्यांमार बॉर्डर पर उग्रवादियों को किया तबाह

भारतीय सेना ने बुधवार को म्यांमार सीमा पर गोलीबारी में वहां नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (एनएससीएन-के) के कई सारे उग्रवादियों को मार गिराया. हालांकि सेना ने इसे सर्जिकल स्ट्राइक का नाम नहीं दिया.

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अधिकारियों ने कहा कि यह घटना उस समय हुई, जब अज्ञात विद्रोहियों ने भारतीय सेना की टुकड़ी पर गोलीबारी शुरू कर दी. सेना ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार नहीं किया गया.

भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने अपने बयान में कहा, "27 सितम्बर को तड़के भारत-म्यांमार सीमा पर अभियान के दौरान अज्ञात विद्रोहियों ने भारतीय सेना की टुकड़ी पर गोलीबारी कर दी. हमारे सैनिकों ने तत्काल पलटवार किया."

बयान में आगे कहा गया, "विद्रोहियों का संपर्क टूट गया और वे घटनास्थल से भाग गए. प्राप्त जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में विद्रोही हताहत हुए हैं. गोलीबारी के दौरान हमारी सैनिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ." गोलीबारी बुधवार तड़के लगभग 4.45 बजे शुरू हुई.

पूर्वी कमान ने इससे पहले एक ट्वीट में कहा था कि यह अभियान एनएससीएन (के) के खिलाफ था. पूर्वी कमान ने ट्वीट किया, "एनएससीएन (के) सदस्यों को भारी मात्रा में जान-माल का नुकसान हुआ है. भारतीय सुरक्षा बल से कोई हताहत नहीं हुआ है."

इससे पहले जून 2015 में सेना ने एनएससीएन (के) के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी. यह स्ट्राइक मणिपुर में एनएससीएन (के) द्वारा 18 जवानों की हत्या करने के बाद की गई.

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