पीएम मोदी ने ऐसे की थी 'सर्जिकल स्ट्राइक' की पूरी प्लानिंग

26 सितंबर 2016 को एनएसए चीफ अजित डोभाल ने मिशन से पहले आखिरी मीटिंग ली. इस मीटिंग में सेना के तीनों चीफ और खुफिया एजेंसियों के हेड शामिल थे.

Advertisement
मोदी खुद पहुंचे थे वॉर रूम मोदी खुद पहुंचे थे वॉर रूम

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:37 AM IST

पाकिस्तान पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरा हो रहा है. 28 सितंबर 2016 की रात पाकिस्तान के मुंह पर भारतीय सैनिकों ने करारा तमाचा मारा था. कमांडोज पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसी के आतंकी और आतंकियों के लॉन्चिंग पैड ध्वस्त कर अपनी सरहद में लौट आए.

लेकिन उस रात सिर्फ जवानों ने ही अपना जज्बा नहीं दिखाया था. बल्कि दिल्ली में भी खलबली मची थी.

Advertisement

28 सितंबर की आधी रात, साउथ ब्लॉक

दिल्ली धीरे-धीरे नींद के आगोश में जा रही थी. ये रात कुछ ज्यादा ही काली थी. शायद अमावस की वजह से. पूरा साउथ ब्लॉक रात की कालिमा और खामोशी की चादर में लिपटा हुआ था. ऐसा लग रहा था मानो दिल्ली की तरह रायसीना हिल भी गहरी नींद में जा चुकी है.

वॉर रूम में थी बेचैनी

मगर इस काली रात और घुप्प खामोशी के बीच इसी रायसीना हिल पर एक कमरे में अजीब सी बेचैनी का आलम था. यहां मौजूद हर शख्स की आंखों से नींद कोसों दूर थी. कमरे में मौजूद हर शख्स के लिए अगले कुछ घंटे उनकी जिंदगी के सबसे अहम पल साबित होने वाले थे. भारतीय सेना के तीनों प्रमुख, खुफिया एजेंसियों के हेड और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की नजरें सीधे एलओसी पर गड़ी थीं. मिशन बस शुरू होने वाला था. सरहद पार भारतीय फौज के इतिहास का सबसे बड़ा ऑपरेशन.

Advertisement

प्रधानमंत्री निवास पर थी खामोशी

प्रधानमंत्री निवास भी पूरी तरह सन्नाटे और खामोशी में डूबा था. सुरक्षा गार्ड्स को छोड़ कर प्रधानमंत्री निवास के करीब-करीब सभी कर्मचारी तक सो चुके थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सख्त रुटीन के बावजूद अब भी जाग रहे थे. वो सोए नहीं थे ताकि जान सकें कि उनके लिए अब तक के सबसे बड़े फैसले का अंजाम क्या हुआ?

ऐसे शुरु हुई सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग

सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका उसी दिन से तैयार हो चुकी थी, जब 19 सितंबर को उरी में आर्मी कैंप को आतंकियों ने निशाना बनाया. इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए. वहीं हमले में मारे गए आतंकवादियों, उनके पास से बरामद जीपीएस सेट और जिंदा पकड़े गए दो गाइड्स से खुलासा हो चुका था कि ये एक आतंकवादी हमला था. आतंकवादियों का ताल्लुक  जैश-ए-मोहम्मद से था और वो पाकिस्तान के रास्ते उरी में दाखिल हुए थे.

शुरु हुई सरकार की आलोचना

हमले की खबर जैसे-जैसे फैल रही थी देश में गुस्सा बढ़ता जा रहा था. सेना के जवानों की शहादत आम हिंदुस्तानियों का खून खौला रही थी. लोगों के मूड ने मोदी सरकार पर लगातार दबाव बनाना शुरु कर दिया था. देश में चारों तरफ से हमले के खिलाफ और हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की आवाजें उठनी शुरू हो चुकी थीं. इसके बाद से ही पाकिस्तान को उसी के अंदाज में सबक सिखाने की प्लानिंग शुरु

Advertisement

हो गई.

 

21 सितंबर, 2016

दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को विदेश सचिव जयशंकर ने तलब किया. जयशंकर ने हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ होने के तमाम पुख्ता सबूत बासित को सौंपे.

22 सितंबर, 2016

न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में लश्कर के आतंकवादी बुरहान वानी को हीरो बताया. नवाज शरीफ यहीं नहीं रुके और उन्होंने उरी हमले पर कोई सफाई देने के बजाय उलटे भारत को ही कश्मीर मुद्दे पर घेरने की कोशिश की. शरीफ की इस हरकत ने आग में घी डालने का काम किया.

22 सितंबर, 2016

उधर नवाज शरीफ ने बेशर्म बयान दिया और इधर दिल्ली में आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डायरेक्टर जनरल मलिट्री ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल रनबीर सिंह ने पीएम मोदी के साथ NSA अजित डोभाल को पाकिस्तान के खिलाफ मिलिट्री और दूसरे ऑपरेशन की जानकारी दी. 

23 सितंबर, 2016

प्रधानमंत्री मोदी अजित डोभाल के साथ पहली बार साउथ ब्लॉक पर आर्मी के अंडरग्राउंड वॉर रूम में पहुंचे. वहां सेना के तीनों प्रमुख, खुफिया एजेंसी रॉ के सेक्रटरी राजेंद्र कुमार, इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा और एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी पहले से मौजूद थे.

यहां प्रधानमंत्री को बताया गया कि इसरो की कम ऊंचाई वाले सेटेलाइट के जरिए पाक अधिकृत कश्मीर पर पूरी नजर रखी जा रही है. मानव रहित विमान से पीओके के टेरर लॉन्चिंग पैड की भी निगरानी की जा रही है. इसके अलावा रॉ के लोग जमीन पर भी ऐसे आठ टेरर लॉन्च पैड की जानकारी जुटा रहे हैं. इसी के बाद मीटिंग में फैसला हुआ कि इन आठ टेरर कैंपों पर नजर रखी जाए और उसके बारे में तमाम अपडेट दिए जाएं.

Advertisement

24 सितंबर, 2016

वॉर रूम में जानकारी लेने के बाद अगले ही दिन प्रधानंमत्री मोदी केरल पहुंचे. यहां उन्होंने उरी हमले पर पहली बार पाकिस्तान को खुली चुनौती दी. मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान अपने जवानों की शहादत नहीं भूलेगा. इशारों ही इशारों में मोदी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए.

इसी बीच LoC पर पैनी नजर रखी जा रही थी. खुफिया एजेंसी रॉ के भरोसेमंद एजेंट रावलपिंडी और इस्लामाबाद की हर गतिविधि पर नजरें गड़ाए थे. वो पाकिस्तान आर्मी के हर मूवमेंट पर नजर रख रहे थे. रावलपिंडी और पाकिस्तान से रॉ ने गुप्त संदेश भेजे, जो मिशन को आगे बढ़ाने में अहम कड़ी साबित हुए.

26 सितंबर, 2016

दिल्ली में तीनों सेना प्रमुख और खुफिया एजेंसियों के हेड अपना-अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर देते हैं. ताकि उनके फोन से पाकिस्तान उनके मूवमेंट का पता ना लगा सके. रायसीना हिल से कोसों दूर एक खुफिया जगह पर इनकी मीटिंग होती है. सभी बिना वर्दी और सरकारी गाड़ी के उस जगह पहुंचते हैं. इसी मीटिंग में ऑपरेशन को अमली जामा पहना दिया जाता है.

इसके बाद आर्मी की स्पेशल फोर्स के 4 और 9 पैरा बैटालियन के कमांडिग अफसरों को पहली बार मिशन की जानकारी दी जाती है. उनसे कहा जाता है कि वो इस मिशन के लिए सबसे घातक कमांडो का चयन करें. जिसके लिए 6 बिहार रेजिमेंट और 10 डोगरा रेजिमेंट के घातक कमांडोज को चुना गया.

Advertisement

डोभाल ने ली आखिरी मीटिंग

इसी दिन एनएसए चीफ अजित डोभाल ने मिशन से पहले आखिरी मीटिंग ली. इस मीटिंग में सेना के तीनों चीफ और खुफिया एजेंसियों के हेड शामिल थे. मीटिंग में तय हुआ कि मिशन के तहत एलओसी के उस पार आठ आतंकी कैंपों पर हमला किया जाएगा.

मिशन की पूरी तैयार हो चुकी थी. इधर सेना प्रमुख, खफिया एजेंसी के साथ एनएसए तैयार थे, उधर कमांडोज अपने मिशन की तैयारी कर चुके थे.

इस तरह भारत ने 28 सितंबर की रात पाकिस्तान को उसकी सरहद में घुसकर धूल चटाई और जवान सकुशल अपनी सीमा में लौट आए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement