कारोबार के लिहाज से फोर्ब्स की लिस्ट में भारत को मिला 97वां स्थान

कारोबार के लिहाज से फोर्ब्स की लिस्ट में भारत को 97वां स्थान मिला है. व्यापार, मौद्रिक आजादी, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी चुनौतियों से निपटने जैसे मानकों के मामले में भारत का प्रदर्शन खराब रहा है.

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इस लिस्ट में डेनमार्क पहले पायदान पर इस लिस्ट में डेनमार्क पहले पायदान पर

स्वाति गुप्ता

  • न्यूयार्क,
  • 17 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

कारोबार के लिहाज से फोर्ब्स की 144 देशों की लिस्ट में भारत 97वें स्थान पर है. वर्ष 2015 की इस लिस्ट में भारत को कजाकिस्तान और घाना से भी नीचे रखा गया है. व्यापार, मौद्रिक आजादी, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी चुनौतियों से निपटने जैसे मानकों के मामले में भारत का प्रदर्शन खराब रहा है.

डेनमार्क पहले पायदान पर
फोर्ब्स की इस लिस्ट में डेनमार्क पहले पायदान पर है. अमेरिका चार स्थान लुढ़ककर इस बार 22वें स्थान पर है. 2009 में दूसरे स्थान पर रहने के बाद यह लगातार छठा साल है जब उसका स्थान नीचे आ रहा है. अमेरिका दुनिया की वित्तीय राजधानी है और 17,400 अरब डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन मौद्रिक आजादी और नौकरशाही के मामले में उसका प्रदर्शन खराब रहा है.

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युवा आबादी और निर्भरता अनुपात कम
फोर्ब्स के अनुसार लिस्ट में भारत 97वें स्थान पर है. हालांकि देश खुली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है लेकिन पुरानी आत्मनिर्भर नीतियों का अंश अभी बरकरार है. फोर्ब्स ने कहा, ‘युवा आबादी और निर्भरता अनुपात कम होने, बेहतर बचत और निवेश दर तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता समन्वय के कारण भारत की दीर्घकालीन वृद्धि का परिदृश्य सकारात्मक है.

कई चुनौतियां से निपटना बाकी है
फोर्ब्स ने कहा,‘हालांकि भारत के समक्ष कई चुनौतियां है जिससे उसे अभी निपटना बाकी है. इसमें गरीबी, भ्रष्टाचार तथा महिला एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा तथा भेदभाव, अकुशल बिजली उत्पादन तथा वितरण प्रणाली, अप्रभावी तरीके से बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रवर्तन, अपर्याप्त परिवहन तथा कृषि संबंधी ढांचागत सुविधा, सीमित गैर-कृषि रोजगार अवसर शामिल हैं.’

निवेशकों की धारणा 2014 से सुधरी
फोर्ब्स ने हालांकि यह भी कहा है कि भारत के प्रति निवेशकों की धारणा 2014 के शुरुआत से सुधरी है. इसका कारण चालू खाते के घाटे में कमी तथा चुनाव बाद आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ने की उम्मीद है. इससे पूंजी प्रवाह बढ़ा और रुपया स्थिर हुआ. कुछ मामलों में देश का प्रदशर्न अच्छा है.

इनपुट: भाषा

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