भारत-पाक सीमा पर तनाव के बीच विजयदशमी पर BSF ने किया शस्त्र पूजन

बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व दशहरा के दिन जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात बीएसएफ के तोपखाना 1022 और 56वीं वाहिनी के अधिकारियों और जवानों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की.

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शस्त्र पूजन करते बीएसएफ के अधिकारी शस्त्र पूजन करते बीएसएफ के अधिकारी

aajtak.in

  • जैसलमेर,
  • 08 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

  • पुजारियों ने शस्त्रों पर की पुष्पवृष्टि
  • शक्ति मंत्रों का किया उच्चारण

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है. पाकिस्तान की ओर से जम्मू से लगती सरहद पर लगातार किए जा रहे संघर्ष विराम उल्लंघन के बीच जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में देश को मिलने वाले पहले राफेल विमान की शक्ति के रूप में पूजा कर रहे हैं. वहीं पाकिस्तान से लगती सरहद की सुरक्षा में तैनात सीमा सुरक्षा बल और वायुसेना ने भी विधि विधान से शस्त्र पूजन किया.

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भारत-पाक सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान और अधिकारी अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा कर पाकिस्तान को सावधान किया कि यह हथियार हमने दिखाने के लिए नहीं रखे हैं. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व दशहरा के दिन जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात बीएसएफ के तोपखाना 1022 और 56वीं वाहिनी के अधिकारियों और जवानों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की.

सीमा सुरक्षा बल की तोपखाना यूनिट, जवानों और अधिकारियों ने मंत्रोच्चार के साथ शस्त्रों, तोप की पूजा अर्चना की. शस्त्रों पर तिलक किया गया और नारियल फोड़ा गया. इस दौरान वातावरण में भारत माता की जय की गगनभेदी जयकार से गूंजायमान हो उठा. वैसे तो हर वर्ष नवरात्र के अंतिम दिन बल शस्त्रों की पूजा करता है, लेकिन इस बार सीमा पर पड़ोसी पाकिस्तान के साथ व्याप्त तनावपूर्ण माहौल में यह कार्यक्रम विशेष था. वायुसेना ने भी अपने परिसर में शस्त्रों की पूजा की.

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पुरानी है शस्त्र पूजन की परंपरा

बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि विजयदशमी के दिन शस्त्र-पूजन की परंपरा रामायण काल से चली आ रही रही है जिसे हम निभा रहे हैं. अस्त्र-शस्त्रों को सामने रखकर गंगाजल छिड़का जाता है. गंगाजल से स्नान कराने (शस्त्रों को) के बाद जया और विजया की पूजा होती है और तब शस्त्रों का हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाकर पुष्प चढ़ाया जाता है.  

अधिकारियों ने बताया कि इस पूजा का उद्देश्य सीमा की सुरक्षा में मां का आशीर्वाद प्राप्त करना है. गौरतलब है कि मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है. भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले शस्त्र पूजा की थी.

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