मुश्किल में पड़ सकती है राफेल डील, रक्षा मंत्री बोले- दोनों सरकारों के बीच होगी सीधी बातचीत

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार को इशारों में कहा कि फ्रांस के साथ 25 बिलियन डॉलर वाली 126 लड़ाकू विमानों की डील मुश्किल में पड़ सकती है.

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मनोहर पर्रिकर मनोहर पर्रिकर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार को इशारों में कहा कि फ्रांस के साथ 25 बिलियन डॉलर वाली 126 लड़ाकू विमानों की डील मुश्किल में पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए भविष्य में होने वाली सभी बातचीत सीधे तौर पर दोनों सरकारों के बीच ही होगी और विमान निर्माताओं से कोई सीधी बातचीत नहीं होगी.

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पर्रिकर ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे तौर पर फ्रांस सरकार से उड़ान भरने के लिए तैयार 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का ऐलान किया और इस तरह मध्यम बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) की निविदा के लिए तीन साल से चल रही बातचीत को दरकिनार कर दिया.

126 विमानों की खरीद के लिए शुरू में निविदा का मूल्य करीब 10 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था, वहीं मौजूदा अनुमानित मूल्य 20 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है, जिस पर भारत को गंभीर आपत्ति है. बातचीत के भंवर में ‘फंस’ जाने और कोई समाधान नजर न आने का जिक्र करते हुए पर्रिकर ने कहा कि फ्रांस के साथ सीधी बातचीत से अब फैसला होगा कि और कितने राफेल विमान खरीदे जाने हैं और क्या इसे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लाया जाएगा.

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'सराकर से ही सीधी बातचीत करेंगे'
रक्षा मंत्री ने इन सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया कि एमएमआरसीए के लिए वायुसेना की जरूरतें राफेल के जरिए पूरी होंगी या कोई और कंपनी इसमें सामने आ सकती है. 36 राफेल विमान उड़ान भरने के लिए तैयार अवस्था में खरीदने की बात बताते हुए पर्रिकर ने कहा, ‘सरकार से सरकार की सीधी बातचीत में ही कोई गुंजाइश थी. प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) माध्यम में काफी भ्रम की स्थिति और उठापटक थी इसलिए फैसला किया गया कि हम सरकार से सरकार की सीधी बातचीत के रास्ते को ही अपनाएंगे.’

'मेक इन इंडिया' पर फैसला उचित चर्चा के बाद
उन्होंने कहा कि बाकी बचे राफेल विमानों का क्या किया जाएगा, इसका फैसला दोनों देशों की सरकारों के बीच होने वाली बातचीत के बाद ही किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि एमएमआरसीए के लिए आठ साल पुरानी निविदा प्रक्रिया, जिसके लिए राफेल को चुना गया था, का क्या होगा? इस पर पर्रिकर ने कहा कि अभी फैसला नहीं किया गया है. यह पूछे जाने पर कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल का क्या होगा? इस पर पर्रिकर ने कहा कि उचित चर्चा के बाद ही इस पर फैसला किया जाएगा.

उन्होंने कहा, हम ज्यादा ब्योरा नहीं दे पाएंगे क्योंकि जिस फाइन प्रिंट पर सहमति बनी है वह मेरे पास नहीं है.’ अपनी ‘निजी राय’ जाहिर करते हुए पर्रिकर ने कहा कि रक्षा जैसे सामरिक क्षेत्रों में सीधे सरकारों के बीच बातचीत का रास्ता ज्यादा बेहतर है. भारत और अमेरिका के बीच डीटीटीआई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘जब आपको जटिल प्लैटफॉर्म हासिल करना होता है तो सरकारी रास्ता ज्यादा बेहतर होता है.’

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'शायद 126 लड़ाकू विमान भी न खरीदे भारत'
रक्षा मंत्री ने 36 राफेल विमानों की आपूर्ति के लिए कोई समयसीमा देने से इनकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के स्तर पर किसी करार की बारीकियां तय नहीं की जातीं. पर्रिकर ने कहा, ‘आप सिद्धांत से सहमत होते हैं. सिद्धांत पर सहमति हो गई. अब दोनों पक्ष एक साथ बैठेंगे और ब्योरे पर काम करेंगे.’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत 126 से ज्यादा राफेल विमान भी खरीद सकता है, इस पर पर्रिकर ने कहा, '126 ही माली तौर पर इतनी ऊंची चढ़ान है कि चढ़ना मुश्किल है.' उन्होंने कहा कि हर चीज चर्चा पर निर्भर करेगी.

उन्होंने कहा, ‘वह (मेक इन इंडिया) इस बात पर निर्भर करेगा कि हम कैसे बातचीत करते हैं. (ऑर्डर) की कुल संख्या क्या है. हो सकता है कि हम सभी 126 न खरीदें. सरकार के स्तर पर दोनों पक्षों की बातचीत के बाद ही इस पर फैसला होगा.’

- इनपुट भाषा

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