जानिए, सरकार की जानकारी के बिना कैसे शुरू हुई थी दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी

वायु सेना के पूर्व उप प्रमुख रिटायर्ड एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा ने यह खुलासा किया है कि इसके लिए लिखित में कुछ भी नहीं किया गया था. हवाई पट्टी को शुरू कर दिए जाने की जानकारी सरकार को बाद में दी गई थी.

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पूर्व वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा (फोटोः एएनआई) पूर्व वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा (फोटोः एएनआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST

  • 1965 के बाद 2008 में शुरू हुई थी हवाई पट्टी
  • वायु सेना ने बाद में दी सरकार को जानकारी

भारत और चीन के बीच तनातनी चल रही है. लद्दाख में चल रहा तनाव खत्म करने के लिए दोनों देशों की सेना के बीच अधिकारी स्तर की वार्ता जारी है. इन सबके बीच लद्दाख की दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी भी चर्चा में आ गई है, जिसका उपयोग भारत ने हाल ही में चीन के साथ लगती सीमा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने सैनिकों की तादाद बढ़ाने के लिए किया था.

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साल 1965 के बाद 43 साल तक बंद रही इस हवाई पट्टी को 2008 में शुरू किया गया था. अब वायु सेना के तत्कालीन उप प्रमुख रिटायर्ड एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा ने यह खुलासा किया है कि उन्होंने कैसे इतने साल से बंद इस हवाई पट्टी को फिर से चालू किया था. समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में बारबोरा ने खुलासा किया है कि इसके लिए लिखित में कुछ भी नहीं किया गया था.

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उन्होंने कहा है कि जब हवाई पट्टी पर सफलतापूर्वक AN-32 विमान की लैंडिंग और टेक ऑफ कराने के बाद वे लौट आए, इसके बाद सरकार को प्रॉपर चैनल से इसकी जानकारी दी गई. वायु सेना के पूर्व उप प्रमुख ने कहा कि सरकार ने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? इसके जवाब में हमने कहा कि सेना को रसद की आपूर्ति बनाए रखने के लिए यह वायु सेना की जिम्मेदारी है. यह हवाई पट्टी भारतीय क्षेत्र के अंदर है. यह हमारे अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए हमने ऐसा किया.

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गौरतलब है कि 16614 फीट की ऊंचाई पर स्थित दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी का निर्माण साल 1962 में कराया गया था. 1965 तक यह हवाई पट्टी ऑपरेशन में रही, लेकिन इसके बाद यह ऑपरेशन से बाहर हो गई. साल 2008 में 31 मई को वायु सेना के तत्कालीन उप प्रमुख एयर मार्शल बारबोरा ने इस हवाई पट्टी पर AN-32 विमान की लैंडिंग और टेक ऑफ करा इसे फिर से ऑपरेशनल बनाया.

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उस विमान में खुद बारबोरा भी सवार थे. तब देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार थी. प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार में तब रक्षा मंत्री एके एंटनी थे. कहा जाता है कि तब चीन ने इस पर भी आपत्ति जताई थी.

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