हर ओर जन्माष्टमी की धूम देखी जा रही है. मथुरा, वृंदावन समेत देश-दुनिया के अनेक मंदिरों में मुरली मनोहर के भक्त प्रार्थना-भजन के लिए उमड़ रहे हैं.
अब से कुछ ही घंटों बाद आने वाली है वह शुभ घड़ी, जब कान्हा साक्षात अपने भक्तों के द्वार पर दस्तक देंगे. रात 12 बजे जैसे ही धरती पर कान्हा के नन्हें कदम पड़ेंगे, हर तरफ शंख का पवित्र नाद गूंजने लगेगा. कान्हा के नाम का जयकारा भक्तों के तन-मन में नया जोश भरने वाला है.
दुनिया के कई भागों में जश्न
जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है. भगवान ने भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि को कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया था. भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी के पावन पर्व पर केवल मथुरा-वृंदावन ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों की धरती भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है.
इस जन्माष्टमी पर विशेष संयोग
इस बार ज्योतिषी जन्माष्टमी के इस दिन बेहद शुभ मान रहे हैं, क्योंकि 50 साल बाद ग्रहों का ऐसा संयोग बन रहा है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय बना था. भगवान कृष्ण के जन्म के समय में पड़ने वाला रोहिणी नक्षत्र का संयोग पूरे दिन है. साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग भी बना हुआ है. इन योगों को हर तरह के कार्यों के लिए शुभ माना जा रहा है. इन योगों के पड़ने के कारण किसी भी तरह की खरीदारी से खुशहाली बढ़ेगी और रोहिणी नक्षत्र के कारण श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी.
शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन वृष राशि में चंद्रमा व सिंह राशि में सूर्य था. आज भी वही सारे संयोग बने हुए हैं. सिंह राशि में सूर्य है, रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा के होने से अमृतसिद्धि योग बन रहा है.
हर तरह से भक्तों का उद्धार
जन्माष्टमी पर कृष्ण के पावन और अलौकिक रूप का दर्शन भक्तों को धन्य कर देता है. उनके घर में भी आए कान्हा जैसा पुत्र, यह कामना भक्तों के मन में हिलोरें मारने लगती हैं. जन्माष्टमी पर कान्हा के दर्शन से न केवल नौकरी की गारंटी बनी रहेगी, बल्कि बेरोजगारों को नई नौकरी भी मिलने की संभावना है. यही नहीं, भक्तों का घर भी सुख-समृद्धि से भर जाएगा.
'व्रतराज' का अनूठा अवसर
जन्माष्टमी के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके व्रत को 'व्रतराज' कहा जाता है. मान्यता है कि इस एक दिन व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है. अगर भक्त पालने में भगवान को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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