क्या PAK ब्लैक लिस्टेड होगा, हाफिज की सजा का अमेरिका ने किया समर्थन

आतंकवाद को समर्थन देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पहले से ही उसे ग्रे-लिस्ट में डाल रखा है. पाकिस्तान पर आरोप था कि वह आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने वाले नेटवर्क का समर्थन करता है.

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पाकिस्तान पर आतंकी फंडिंग का लगता रहा है आरोप पाकिस्तान पर आतंकी फंडिंग का लगता रहा है आरोप

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

  • हाफिज सईद को दो मामलों में सुनाई गई सजा
  • सईद को साढ़े पांच-साढ़े पांच साल की होगी जेल
  • अमेरिका ने हाफिज की सजा का किया समर्थन

मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान की कोर्ट ने सजा सुनाई है. टेरर फंडिंग केस में आतंकी हाफिज सईद को दो मामलों में 5 साल 6 महीने कैद की सजा सुनाई गई है. अमेरिका ने हाफिज सईद की सजा पर प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा की जिम्मेदारी तय करने को लेकर यह एक महत्वपूर्ण कदम है.

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लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) ने बुधवार को आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के दो मामलों में हाफिज सईद को साढ़े पांच साल-साढ़े पांच साल की कैद और दोनों मामलों में 15-15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. दोनों मामलों में सजा साथ-साथ चलेगी. इस तरह उसे कुल 11 साल की सजा भुगतनी पड़ेगी. पिछले हफ्ते लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत ने प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (जेयूडी) के सरगना और 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवादी फंडिंग से जुड़े इन दो मामलों में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हाफिज सईद को सजा के मामले पर दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री Alice G Wells ने कहा, 'पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि वह अपनी भूमि से किसी को आतंक की इजाजत नहीं देंगे. अब हाफिज सईद को दोषी ठहराया गया. यह लश्कर-ए-तैयबा की उसके अपराधों के लिए जवाबदेही तय करने और पाकिस्तान को आतंकवाद को फंड देने से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में अहम कदम है.'

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पाकिस्तान पहले ही ग्रे-लिस्ट में शामिल

आतंकवाद को समर्थन देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पहले से ही उसे ग्रे-लिस्ट में डाल रखा है. पाकिस्तान पर आरोप था कि वह आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने वाले नेटवर्क का समर्थन करता है. बाद में एफएटीएफ के दबाव के चलते पाकिस्तान ने दिखावे के लिए कुछ कदम उठाए लेकिन वह अपनी कार्रवाई से एफएटीएफ को संतुष्ट नहीं कर पाया है. हाल ही में आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान की ग्रे-लिस्टिंग का समर्थन किया था और कहा था कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए.

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FATF में पाक को बेनकाब करेगा भारत

भारत पेरिस में 16 फरवरी से 21 फरवरी के बीच में होने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में अपने सबसे काबिल 10 अफसरों को अपना पक्ष रखने के लिए भेज रहा है. ये सभी अफसर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग (आईटी), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) और रेवेन्यू डिपार्टमेंट से जुड़े हुए हैं.

भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स  के सामने पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग और आतंकी गतिविधियों से जुड़े तमाम दस्तावेज सौंपेगा जिससे अंतरराष्ट्रीय संस्था के सामने पाकिस्तान बेनकाब होगा. भारतीय अधिकारी एफएटीएफ को डोजियर भी सौंपेंगे, जिसके बचाव में पाकिस्तान तर्क नहीं रख पाएगा.

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ब्लैक लिस्ट में जा सकता है पाकिस्तान

बीते साल 2019 के अक्टूबर महीने में एफएटीएफ की जो मीटिंग हुई थी, उसमें पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी कि फरवरी 2020 तक सुधार के लिए पाकिस्तान सख्त कदम उठाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है. तमाम नसीहतों के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग के लिए अपनी सक्रियता कम नहीं की है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आज भी बड़े स्तर पर लॉन्चिंग पैड के जरिए आतंकियों को भारत भेजने की कोशिशों में जुटी हैं.

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