इनकम टैक्स रिटर्न: सही फॉर्म, सहज जिंदगी

आपके लिए अब ज्यादा ध्यान देने का समय आ गया है, क्योंकि इनकम टैक्स विभाग टैक्स चोरी को पकडऩे के लिए आप से कुछ ज्यादा खुलासे करवाना चाहता है.

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टीना जैन कौशल

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  • 30 जून 2015,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

साल का यही वह वक्त है जब लोग इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) भरने के लिए दौड़-भाग करते दिखाई देते हैं. हालांकि इस साल आप कुछ इत्मीनान से यह काम कर सकते हैं, क्योंकि आखिरी तारीख 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. विदेश यात्राओं के खर्च और बैंक में जमा रकम के अनिवार्य खुलासे सरीखे विवादास्पद और बोझिल प्रावधानों को अब हटा दिया गया है. नए प्रावधान भी जोड़े गए हैं, लेकिन कहीं ज्यादा सरल रूप में.

मई में जो फॉर्म जारी किया गया था, उसमें की गई सख्त खुलासों की मांग के व्यापक विरोध की वजह से उसे वापस ले लिया गया है. लोग अपनी विदेश यात्राओं और बैंक में जमा रकम के बारे में विस्तृत जानकारी बताने के खिलाफ थे. नए फॉर्म में विस्तृत खुलासे की मांग तो नहीं की गई है, फिर भी आपकी विदेश यात्राओं और बैंक खातों के बारे में बुनियादी जानकारी मांगी गई है. मिसाल के तौर पर, यह पूछने की बजाए कि पिछले साल आपने कितनी विदेश यात्राएं कीं, नया फॉर्म सिर्फ आपका पासपोर्ट नंबर मांगता है. जानकार कहते हैं कि पासपोर्ट नंबर के जरिए अब यह पता करने की जिम्मेदारी आयकर विभाग की होगी कि उस शख्स ने ऐसी यात्राओं पर कितनी रकम खर्च की है. मंशा टैक्स चोरी को पकडऩे और काले धन के देश के बाहर जाने पर लगाम लगाने की है.

विशेषज्ञों को अलबत्ता टैक्स कानूनों में बार-बार बदलाव करने की बात रास नहीं आई. TaxSpanner.comके सह-संस्थापक और निदेशक सुधीर कौशिक कहते हैं, ''हर साल कुछ न कुछ बदलाव किए जाते हैं, जो करदाताओं को चक्कर में डाल देते हैं. आइटीआर फॉर्म/अमान्य विवरणी के गलत चयन की वजह से कई सारे टैक्स नोटिस भेजे जाते हैं.'' आइटीआर फॉर्म में और भी कई बदलाव हुए हैं. इन बदलावों को समझने में आपकी मदद के लिए यहां एक गाइड दी जा रही हैः

नया फॉर्म (आइटीआर 2ए)
यह देखते हुए कि बहुत सारे करदाताओं को एक से ज्यादा मकानों का मालिक होते हुए भी कोई पूंजीगत लाभ नहीं होता, वित्त मंत्रालय ने प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक नया फॉर्म आइटीआर-2ए प्रस्तावित किया है. यह फॉर्म उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) के लिए है, जिनके पास दो मकान हैं, लेकिन पूंजीगत लाभ, व्यवसाय/पेशे से या विदेशी संपत्ति/विदेशी आय से कोई आमदनी नहीं है.

करदाताओं को छह प्रकार के टैक्स फॉर्म में से चुनना होता है और अपनी आमदनी के स्रोत के आधार पर अपना सही आइटीआर फॉर्म पहचानना और चुनना होता है. विदेश परिसंपत्तियां, आय, अगले लाभ से घाटा पूर्ति सरीखी कुछ और बातें हैं, जिन्हें अपना सही आइटीआर फॉर्म चुनने से पहले देखना होता है.

अगर तनख्वाह, पेंशन या ब्याज आमदनी का एकमात्र स्रोत हो और संपत्ति के तौर पर सिर्फ एक मकान हो तो ऐसे व्यक्ति को आइटीआर-1 टैक्स फॉर्म भरना है. जिन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों को एक से अधिक मकान से आय और पूंजीगत लाभ प्राप्त हुआ है, उन्हें फॉर्म आइटीआर-2 भरने की जरूरत है. नया फॉर्म आइटीआर-2ए उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए है, जिन्हें कोई पूंजीगत लाभ न हुआ हो और जो एक से ज्यादा मकानों के मालिक हों. आइटीआर-3 व्यवसाय से आमदनी प्राप्त करने व्यक्तियों/एचयूएफ के लिए और आइटीआर-4 स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों के लिए है.

पासपोर्ट नंबर
अच्छी खबर यह है कि अब आपको अपनी विदेश यात्राओं या उनमें किए गए खर्चों के विस्तृत ब्योरे आयकर विभाग को नहीं देने पड़ेंगे. लेकिन अगर आपके पास पासपोर्ट है, तो उसका नंबर अब भी आइटीआर-2 और आइटीआर-2ए में आपको देना ही होगा. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह महज दिखावा है क्योंकि इनकम टैक्स विभाग अब भी आपकी विदेश यात्राओं के ब्योरे इमिग्रेशन विभाग से हासिल कर सकता है. Makemyreturns.com. के चीफ इनोवेशन ऑफिसर विक्रम रामचंद कहते हैं, ''साधारण करदाता के लिए फिक्र की कोई बात नहीं है, मगर जो लोग साल में पांच या छह बार विदेश जाते हैं और इन यात्राओं में गैर-हिसाबी धन खर्च करते हैं, वे जरूर परेशान होंगे. पहले यह ऐसी कमजोरी थी जिसका कई लोग फायदा उठाते थे.'' एक और कदम यह उठाया गया है कि ऐसे व्यक्ति को, जो भारतीय नागरिक नहीं है लेकिन व्यवसाय, रोजगार या छात्र वीजा पर भारत में रह रहा है, उसे विदेशी संपत्ति की जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी, बशर्ते उसने संबंधित पिछले वर्ष के दौरान ऐसी संपत्ति से कोई आमदनी अर्जित न की हो.

बैंक खाते के ब्योरे
पहले आप रिफंड के मकसद से सिर्फ एक बैंक खाते का ब्योरा देते थे. अब से आपको पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय संचालित अपने सभी बैंक खातों के ब्योरे देने होंगे. आपको सभी चालू/बचत खातों के नंबर और आइएफएस कोड बताने होंगे. इस नए प्रावधान से टैक्स-पूर्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. रामचंद कहते हैं, ''यह अच्छा कदम है, क्योंकि ज्यादातर लोगों के कई खाते हैं. करदाताओं को अब अपनी दूसरी आमदनियों का भी जिक्र करना पड़ेगा, जो वे अपने दूसरे बैंक खातों में प्राप्त करते हैं.''

आइटीआर-1 में बदलाव
नए प्रावधानों के तहत, जिन लोगों की बगैर किसी सीलिंग के छूट-प्राप्त आमदनी (5,000 रुपए से अधिक कृषि आय के अलावा) है, वे अब फॉर्म आइटीआर-1 (सहज) भर सकते हैं. व्यक्तियों/एचयूएफ के लिए भी फॉर्म-4 (सुगम) के संदर्भ में ऐसे ही सरल उपायों की पेशकश की गई है. एक और कदम यह उठाया गया है कि कोई भी निवासी, जो भारत के बाहर से आय अर्जित कर रहा हो या जिसका भारत के बाहर कोई वित्तीय हित हो, उसे आइटीआर-1 में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की इजाजत नहीं है.

आइटीआर-वी

पहले ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के बाद आपको उसकी पावती या आइटीआर-वी अलग से आयकर विभाग को पोस्ट करने की जरूरत होती थी. अब अगर आप अपने आइटीआर फॉर्म में आधार नंबर दे देते हैं, तो आपको आइटीआर-वी पोस्ट करने की जरूरत नहीं होगी. टैक्स मामलों के जानकार कहते हैं कि यह बड़ी राहत है क्योंकि कई लोग अक्सर पावती फॉर्म आयकर विभाग को भेजना भूल जाते थे.

अंत में, अगर आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरने में भ्रांति या जटिलता महसूस हो, तो विशेषज्ञों की मदद लें ताकि बाद में टैक्स नोटिसों से बच सकें और सब बढिय़ा चले.

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