सिविल सर्विस एग्जाम के फार्म के जरिए जिन छात्रों ने OBC वर्ग के लिए आवेदन किया है, उनके फार्म को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी UPSC जांच रहा है. यह देखने पर कि उसके परिवार की वित्तीय स्थिति कैसी है, इसके बाद ही आरक्षण देने या ना देने का फैसला लिया जा रहा है.
दरअसल, कुछ समय पहले NDA सरकार ने रिजरवेशन पॉलिसी में अहम बदलाव किए थे. तब तय किया गया कि OBC रिजरवेशन उन्हीं को दिया जाएगा जिनके माता-पिता की तनख्वाह सालाना 6 लाख रुपए से कम है. इससे अधिक तनख्वाह वालों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
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यह फैसला आने के बाद DoPT ने 20 OBC अभ्यर्थियों को रिजरवेशन के अंतर्गत लेने से मना कर दिया है. इन्हें क्रीमी लेयर का अभ्यर्थी बताया गया है. अब इनमें से कुछ CAT के पास पहुंचे हैं तो कुछ अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है.
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गौरतलब है कि जिन लोगों को रिजरवेशन के अंतर्गत नहीं लिया गया है उनके माता-पिता सरकारी बैंकों, विश्वविद्यालयों आदि में कार्यरत हैं. फॉर्म भरने के बाद उनके OBC सर्टिफिकेट को UPSC ने जांचा है. कुछ माह पहले ही DoPT ने एक पत्र भेजकर उनके OBC स्टेटस के बारे में सारी जानकारियां पूछी थीं.
मेधा चावला