IIT में 3000 रैंक पीछे, फिर कैसे मिला इस स्टूडेंट को एडमिशन...

आईआईटी में दाखिले की तैयारी व रैंकिंग में पिछड़ जाने के बावजूद एक स्टूडेंट ने कोर्ट में लड़ाई लड़कर लिया आईआईटी-रोपड़ में दाखिला. जानें कैसे -

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विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST

कहते हैं कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. नयन बंसल ने इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है. वे हमेशा से ही आईआईटी में दाखिला लेना चाहते थे लेकिन जब आईआईटी की अंतिम मेरिट आउट हुई तो वे कहीं दूर छूट गए थे. वे अंतिम मेरिट से लगभग 3000 रैंक पीछे थे. हालांकि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दखल के बाद वे आईआईटी-रोपड़ का हिस्सा हो सकेंगे.

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वे कर्नाल जिले के रहने वाले हैं और (IITJEE) की परीक्षा में उन्हें 13,060 की रैंकिंग मिली थी. उन्हें देश की किसी भी आईआईटी और इंडियन स्कूल ऑफ माइंस में दाखिला नहीं मिला. वे छ: राउंड की काउंसलिंग पर नजर गड़ाए रहे मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

उन्हें बाद में कहीं से ऐसी खबर लगी कि 20 जुलाई, फाइनल राउंड की काउंसलिंग के बाद भी आईआईटी में सीटें बच गई हैं. उन्होंने 28 जुलाई को हाईकोर्ट का रुख किया. देश के भीतर प्रसारित होने वाले अंग्रेजी अखबार की मानें तो तमाम एडमिशन के बाद भी इन संस्थानों में 73 सीटें खाली थीं. इनमें से सबसे अधिक आईआईटी-बीएचयू में 38 सीटें खाली बच गई थीं.

हाईकोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि नयन को आईआईटी-रोपड़ में दाखिला दिया जाए. वहां एक सीट खाली रह गई थी.
हाईकोर्ट ने इसके बाबत आईआईटी और देश के तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों स्पॉट राउंड काउंसलिंग की सलाह भी दी है. ताकि भविष्य में कोई भी सीट खाली न रहे और जरूरतमंद स्टूडेंट्स को इन संस्थानों में दाखिला मिल सके.

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