बिहार राज्य वैसे तो हमेशा से ही सुर्खियों में रहता है. चाहे वह रॉकी यादव द्वारा किसी को ओवरटेकिंग के लिए गोली मार देना हो या फिर शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई. बिहार में होने वाली तमाम घटनाएं मीडिया के लिए बिन मांगी मुराद जैसी होती हैं लेकिन इन तमाम चीजों के बीच वहां ऐसा भी बहुत कुछ होता रहता है जो कई बार मेनस्ट्रीम मीडिया की नजरों से छूट जाता है. बिहार प्रदेश के कई जिलों में कलेक्टर और आयुक्त के पद पर काम कर चुके एसएम राजू 1991 बैच के आईएएस हैं और इन दिनों एक आर्युवेदिक दवा के इजाद को लेकर काफी चर्चा में हैं.
कृषि में रह चुके हैं स्नातक...
एसएम राजू कर्नाटक प्रांत में पैदा हुए और वहीं कृषि से स्नातक किया. उनकी बनाई गई दवा से किडनी की बीमारी, कैंसर, गठिया और गैस्ट्रो जैसी गंभीर बीमारियों का भी इलाज संभव है. उनके इस दवा को बनाने की प्रेरणा के पीछे उनके पिता बड़ी वजह थे. उनके पिता उन दिनों गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे और वे एलोपैथिक इलाज कराते-कराते थक चुके थे. उन्होंने अपनी पुरानी पढ़ाई-लिखाई के आधार पर रिसर्च करना शुरू किया और Miracle Drinks नामक दवा इजाद की.
खुद पर भी कर चुके हैं प्रयोग...
ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ दूसरों के लिए ही दवा बना रहे हैं. पहलेपहल इस दवा का प्रयोग उन्होंने खुद पर ही किया. वे आजतक से बातचीत में कहते हैं कि साल 1973 में वे गठिया का शिकार हो गए थे. इंजेक्शन लेने के बावजूद उन्हें राहत नहीं मिल रहा था. इसके बाद उन्होंने अपनी कृषि की किताबों का फिर से अध्ययन शुरू किया. रिसर्च वर्क किया और दवा बन कर खुद पर इस्तेमाल किया. वह दवा लेने से उनका गठिया जाता रहा.
पिता और बेटे का कर चुके हैं सफल इलाज...
वे कहते हैं कि साल 2008 में उनके पिता की किडनी में दिक्कतें आने लगीं. उनका डायलिसिस कराना पड़ा. उस दौरान उन्होंने अपनी बनाई दवा से उनका इलाज किया और वे भलेचंगे हो गए. साल 2010 में उनका बेटा भी ब्लड कैंसर का शिकार हो गया. उन्होंने उसका इलाज भी अपनी बनाई दवाओं से किया. उन्होंने ऐसा करने के क्रम में प्राचीन चिकित्साविद् चरक का अध्ययन किया और यह उनके लिए बेहद मददगार रहा.
चिकित्सा के अलावा भी कहे जाते हैं पर्यावरण दूत...
एसएम राजू को पूरे बिहार और खासतौर से तिरहुत (मुजफ्फरपुर) के इलाके में प्रमंडलीय आयुक्त रहते एक दिन के भीतर ही एक करोड़ पेड़ लगवा दिए थे. उनकी प्रसिद्धि इन वजहों से भी खूब रही है. अब तो उनकी बनाई गई दवाओं का सेवन करने वालों में आम आदमी से लेकर वीआईपी तक शामिल हैं. इस दवा के इजाद का अधिकांश श्रेय वे अपने कृषि के बैकग्राउंड को देते हैं.
सुजीत झा