डार्विन की आलोचना कर फंसे HRD राज्य मंत्री, अब सफाई देने का निर्देश

डार्विन के विकास संबंधी सिद्धांत की आलोचना करने वाले मंत्री सत्यपाल अब बुरी तरह से घिर चुके हैं. उनके सीनियर मंत्री ने इसके लिए उनसे बात की और अपनी ओर से सफाई देने को कहा है.

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केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर

राहुल श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

कई बार एक बयान के बाद स्थितियां ऐसी बन जाती है जिससे संभालना आसान नहीं होता, ऐसा ही केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल के एक बयान ने कर दिया. सरकार की आलोचना के बाद अब उनके सीनियर मंत्री ने स्थिति संभालने की कोशिश की और उनसे सफाई देने को कहा है.

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लगातार हो रहे आलोचना के बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने जूनियर मंत्री सत्यपाल सिंह को डार्विन के विकास संबंधी सिद्धांत अपने बयान में सुधार करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि हमें विज्ञान को कमतर नहीं आंकना चाहिए.

डार्विन के सिद्धांत को गलत बताया

पिछले हफ्ते औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल ने डार्विन के विकास सिद्धांत को वैज्ञानिक तौर पर गलत करार दिया और कहा कि स्कूल तथा कॉलेजों को अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करना चाहिए. हालांकि उनके इस बयान के बाद 2,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने इसकी कड़ी निंदा की और राज्य मंत्री के दावे को गलत बताया.

हालांकि अब जावडेकर ने साफ किया कि डार्विन को गलत साबित करने के लिए किसी भी तरह का सेमिनार आयोजित नहीं किया जाएगा.

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पूर्व आईपीएस और राज्य मंत्री सत्यपाल ने अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि डार्विन का सिद्धांत (मनुष्य का क्रमिक विकास) वैज्ञानिक दृष्टि से गलत है. इसे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदला जाना चाहिए. मनुष्य को जब से धरती पर देखा गया वह मनुष्य ही था.

उन्होंने आगे कहा था, "हमारे पूर्वजों समेत किसी ने भी लिखित या मौखिक तौर पर नहीं कहा कि उन्होंने एक वानर को मानव में बदलते हुए देखा. हमने जो भी किताबें पढ़ी हैं या दादी-नानी द्वारा हमें सुनाई गई कहानियों में कहीं भी इसका जिक्र नहीं मिलता है."

वैज्ञानिक समुदाय ने की आलोचना

राज्य मंत्री के इस बयान को वैज्ञानिक जगत ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसकी कड़ी आलोचना की. भारत की तीन विज्ञान अकादमियों के वैज्ञानिकों ने बयान जारी कर कहा कि मंत्री के बयान का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है.

वैज्ञानिकों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "क्रमिक विकास का सिद्धांत जिसके जरिए डार्विन ने अत्यंत प्रभावशाली योगदान दिए हैं, वह सर्वमान्य है. क्रमिक विकास के मूल तथ्यों में किसी तरह का वैज्ञानिक विवाद नहीं है. यह एक ऐसा वैज्ञानिक सिद्धांत है जिसने कई भविष्यवाणियां की, जिनकी बार-बार प्रयोगों और अवलोकनों के जरिए पुष्टि हुई है."

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HRD मंत्री ने सफाई देने को कहा

एक मंत्री की ओर से इस तरह के बयान के बाद उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और सरकार को शर्मसार होना पड़ा. उनके पास अपने मंत्री के बचाव करना मुश्किल हो रहा था. इस बयान के बाद सोशल मीडिया और मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए पार्टी के शीर्ष स्तर पर तुरंत सफाई की जरुरत महसूस की जाने लगी.

हालांकि सूत्र बताते हैं कि पार्टी की ओर से सफाई की जगह वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर को ही यह स्थिति संभालने को कहा गया. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "सभी जूनियर गलती करते हैं तो सीनियर मंत्री उन्हें सलाह देते हैं. प्रकाश जावडेकर ने भी यही किया और उन्होंने सत्यपाल से मीडिया में अपनी स्थिति साफ करने को कहा है."

दूसरी ओर, जावडेकर ने भी कहा, "मैंने इस मामले पर उनसे बात की है और उनसे कहा है कि इस विषय पर अपना बयान जारी करें. मैंने यह भी सलाह दी है कि हमें विज्ञान को कमतर नहीं आंकना चाहिए."

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