हिंदुत्ववादी तत्व ‘हाफिज सईद’ बनना चाहते हैं: प्रकाश आंबेडकर

भीमा कोरेगांव मामले पर प्रकाश आंबेडकर का कहना है कि, ‘यह हिंदुओं का हिंदुओं पर हमला है. और कुछ उग्र हिंदुत्ववादी तत्व भारत के हाफिज सईद बनना चाहते हैं.' उनसे बात की इंडिया टुडे के सीनियर सब-एडिटर सरोज कुमार ने. 

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भीमा कोरेगांवः ‘यह हिंदुओं का हिंदुओं पर हमला है’: प्रकाश आंबेडकर भीमा कोरेगांवः ‘यह हिंदुओं का हिंदुओं पर हमला है’: प्रकाश आंबेडकर

सरोज कुमार

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  • 05 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव में दलितों पर हमले के बाद भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर दलितों के नेता के तौर पर मजबूती से उभरे हैं. उन्होंने 3 जनवरी को राज्य भर में बंद का आह्वान किया था, जो अभूतपूर्व ढंग से सफल रहा. इंडिया टुडे से सीनियर सब एडिटर सरोज कुमार ने उनसे इस मसले पर बातचीत की. पेश हैं उसके प्रमुख अंशः

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सवालः भीमा कोरेगांव के आयोजन में शामिल होने जा रहे दलितों पर हमले को आप किस तरह देखते हैं?

प्रकाश आंबेडकरः यह दलितों पर नहीं बल्कि हिंदूओं पर हिंदूओं का हमला है. एक हिंदू दूसरे हिंदू पर हमला कर रहा है.

सवालः आप इसके लिए किसको जिम्मेदार मानते हैं?

प्रकाश आंबेडकरः मैं पहले ही बता चुका हूं कि इसके पीछे शिव प्रतिष्ठान के मनोहर उर्फ संभाजी भिडे और समस्त हिंदू अघाड़ी के मिलिंद एकबोटे का हाथ है.

सवालः तो क्या यह दलितों पर हमला नहीं है? 

प्रकाश आंबेडकरः यह कास्ट आइडेंटिटी का सवाल नहीं है बल्कि धार्मिक आइडेंटिटी से हमला कर रहा है. इसमें कास्ट ऐंगल की बात नहीं है. 

सवालः कुछ लोग इसे मराठा बनाम दलित बता रहे हैं?

प्रकाश आंबेडकरः नहीं ऐसी कोई बात नहीं है. जो समुदायों को आपस में भिड़वाना चाहते हैं, बांटना चाहते हैं, वे ऐसा बता रहे होंगे. इसमें कास्ट ऐंडल नहीं देखा जाना चाहिए.

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सवालः तो फिर यह क्या है?

प्रकाश आंबेडकरः कई सारे नॉन-रजिस्टर्ड हिंदूवादी असामाजिक संगठन उग आए हैं जो कथित तौर पर हिंदुत्व की बात करते हैं. ये पहले मुसलमानों के खिलाफ खुद को पेश कर रहे थे. अब जब मुसलमानों ने इनके खिलाफ रिएक्ट करना बंद कर दिया है तो इन्होंने हिंदुओं की कमजोर जातियों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. ठीक वैसे ही जैसे शेर जब आदमखोर हो जाता है, तो वह जो भी सामने आए उनका मांस नोच डालता है. उन्हें मुसलमान नहीं मिल रहे हैं, तो उन्होंने अब दलित-ओबीसी को टारगेट किया है. ये नए ‘हाफिद सईद’ हैं.

सवालः ऐसे हिंदुवादी संगठनों को दलितों से क्या दिक्कत है?

प्रकाश आंबेडकरः कथित हिंदू हित की बात करने वाले इन संगठनों की बात पहली बार लफ्जों में कैद हो चुकी है. पहले वो कहते थे कि उनका आंदोलन या विरोध मुसलमानों को लेकर था. पर वह उनका पूरा मकसद नहीं था. उनकी असल मंशा इस कांड से पहली बार सामने आ गई है. इनमें कई तरह के नॉन-रजिस्टर्ड हिंदू संगठन भी हैं जो कानूनी व्यवस्था, सरकार या संसद को नहीं मानते हैं. मैं इन्हें हिंदू आतंकवादी के तौर पर उन्हें देख रहे हैं. वे किसी को भी मारने का इरादा रखते हैं. व्यक्तिगत तौर पर इनके कर्ताधर्ताओं को ‘हाफिज सईद’ बनना है.

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सवालः कुछ लोग इसके पीछे आरएसएस और भाजपा का हाथ बता रहे हैं?

प्रकाश आंबेडकरः आरएसएस की बात अलग है और इन संगठनों की बात अलग है. न तो ये संगठन आरएसएस को अपना बताते हैं और न आरएसएस इनको अपना. अब जो इस तरह के उपद्रवी हिंदुत्ववादी संगठन हैं जो कथित तौर पर हिंदुओं की बात करते हैं, उनको लेकर अब तमाम हिंदुओं को सोचना है कि ऐसे लोगों को ‘हाफिज सईद’ होने देना है या नहीं होने देना है. संभाजी भिडे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना गुरु मानते हैं और प्रधानमंत्री इनके पैर छूते हैं. अब भाजपा को इसमें निर्णय लेना है कि उन्हें ‘हाफिज सईद’ चाहिए या नहीं चाहिए. अगर ‘हाफिद सईद’ नहीं चाहिए तो संभाजी को गिरफ्तार करके अदालत में पेश करें.

सवालः क्या दलित सरकार से नाराज हैं?

प्रकाश आंबेडकरः इस बार कई सामाजिक लोग पहली बार भीमा कोरेगांव में सहयोगी थे. वे अपने पुरखों का अभिवादन करने आ रहे थे. अब वे सभी पूछे रहे हैं कि क्या वे अपने पुरखों का अभिवादन भी नहीं कर सकते? सरकार अब उनके लिए कुछ नहीं कर रही है तो उनके मन में तो गुस्सा है ही. हमने तो 3 जनवरी को बंद के बाद उनको अभी शांत करवा दिया है लेकिन आग तो जलती रहती है. अब कब भड़क जाए मालूम नहीं, यह सरकार पर निर्भर करता है. और हां, यह सिर्फ दलितों का आक्रोश नहीं है बल्कि सभी पिछड़ी जातियों का आक्रोश है.

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सवालः सरकार से आप लोग क्या चाहते हैं?

प्रकाश आंबेडकरः हमारी पहली मांग है कि इनको सबसे पहले अरेस्ट करे. सिस्टम पर जो हावी होना चाह रहा है, उनका मनोबल तोड़े सरकार.

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