पाकिस्तान से आए सिंधी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता देने की तैयारी में मोदी सरकार

देश के बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में हिंदू सिंधी भारत आए. उनमें से कुछ 50 साल से ज्यादा समय से यहीं हैं, लेकिन उन्हें आज भी भारतीय नागरिक नहीं माना जाता. लेकिन केंद्र की नई सरकार अब इनकी सुध ले रही है और इन्हें नागरिकता देने के लिए उसने आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं.

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aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 23 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST

देश के बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में हिंदू सिंधी भारत आए. उनमें से कुछ 50 साल से ज्यादा समय से यहीं हैं, लेकिन उन्हें आज भी भारतीय नागरिक नहीं माना जाता. लेकिन केंद्र की नई सरकार अब इनकी सुध ले रही है और इन्हें नागरिकता देने के लिए उसने आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं.

पाकिस्तान से बीते कई साल में करीब 10 हजार परिवार कई कारणों, खासकर धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर भारत आ गए और दीर्घावधि वीजा लेकर उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बस गए, लेकिन पाकिस्तानी नागरिक के रूप में.

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दस्तावेजों की समीक्षा कर रही सरकार
लेकिन अब गृह मंत्रालय का एक कार्य दल उनके पासपोर्ट, वीजा और दूसरे दस्तावेजों की समीक्षा कर रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के एक दल ने वास्तविक हकीकत को समझने के लिए यहां कलेक्ट्रेट में ऐसे 290 लोगों से मुलाकात की है. इस बैठक में गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जीके द्विवेदी, राज्य गृह सचिव नीना शर्मा, लखनऊ के पुलिस प्रमुख प्रवीण कुमार और एक अतिरिक्त जिलाधिकारी ने हिस्सा लिया. लोगों की लंबे समय से मांग को निपटाने की दिशा में इसे पहले कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

अधिकारी ने कहा कि ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किया जा चुका है और 140 लोगों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है, जबकि 150 लोगों ने दीर्घावधि वीजा के विस्तार की मांग की है.

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लोगों का दर्द: न उधर के रहे, न इधर के हैं
शहर में दवा की दुकान चलाने वाले बलानी परिवार ने कहा कि कट्टरपंथियों ने 15 साल पहले उन लोगों को पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया , लेकिन दुख इस बात का है कि एक दशक बीत जाने के बाद भी उनके पास न तो कोई अधिकार है, न राशन कार्ड है और न ही मतदाता पहचान पत्र है.

परिवार के एक सदस्य ने कहा, 'हम किसी भी देश के नागरिक नहीं रह गए हैं. हमारे बच्चों लिए कोई नौकरी नहीं है.'

57 साल के आथुरान ने कहा कि बीते 21 वर्षो में तीन बार उनका पासपोर्ट बन चुका है, लेकिन उनके वीजा को एक बार भी विस्तार नहीं मिल पाया है. भारत में बसने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया एक स्वागत योग्य कदम है.

भावुक होते हुए उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा के लिए भारत में रहना चाहता हूं और अगर नागरिकता मिल जाती है, तो मुझे बहुत खुशी होगी. अगर मेरे दीर्घावधि के वीजा को आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो कोई मेरे लिए कुछ नहीं कर सकता.'

विश्निबाई नाम की 54 वर्षीय सिंधी महिला ने कहा कि 1964 में वह अपने पिता के साथ पाकिस्तान से भारत आई थी, लेकिन दुख इस बात का है कि अभी तक उन्हें यहां की नागरिकता नहीं मिली.

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