इंडिया टुडे कॉनक्लेव-अच्छा हिंदू कौन

सहस्रबुद्धे ने दावा किया कि ऐसा हमेशा से था और इसे महात्मा गांधी के भजनों से समझा जा सकता है. थरूर ने हिंदुत्व को संकीर्णता से इतर सबको अपने साथ समाहित करने वाली एक व्यापक अवधारणा बताया.

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बहस धारदार विनय सहस्रबुद्धे और शशि थरूर बहस धारदार विनय सहस्रबुद्धे और शशि थरूर

मंजीत ठाकुर

  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019

'घंटी किसके लिए बजीः

मंदिर, पाठ्य पुस्तकें, तलाक'

शशि थरूर, कांग्रेस सांसद, लेखक

विनय सहस्रबुद्धे, आइसीसीआर प्रमुख, भाजपा नेता

देश के दो सबसे पढ़े-लिखे और मुखर कानूनविदों में शुमार, कांग्रेस के शशि थरूर और भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे जब हिंदू धर्म और हिंदुत्व को लेकर अपना दृष्टिकोण सामने रख रहे थे, उन्हें सुनना बहुत सुखद अनुभव था. अपने विचार रखते समय थरूर और सहस्रबुद्धे दोनों ने देश के मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य के संदर्भ में इसकी अवधारणा की व्याख्या की. थरूर ने कहा कि भाजपा हिंदुत्व को राजनैतिक दायरे में लेकर आई है, जबकि सहस्रबुद्धे ने दावा किया कि ऐसा हमेशा से था और इसे महात्मा गांधी के भजनों से समझा जा सकता है.

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थरूर ने हिंदुत्व को संकीर्णता से इतर सबको अपने साथ समाहित करने वाली एक व्यापक अवधारणा बताया. सहस्रबुद्धे ने कहा कि हिंदुत्व विविधता को भी स्वीकार करता है. दोनों ने सबरीमाला, तीन तलाक और गाय पर राजनीति जैसे मुद्दों पर अपनी-अपनी पार्टी के रुख का बचाव किया. दोनों ने इस दावे को खारिज कर दिया कि इन विषयों पर उनके दल की राय, एक गहरे दार्शनिक मंथन की बजाए किन्ही राजनैतिक निहितार्थों से प्रेरित रही है. ठ्ठ

खास बातें

शशि थरूर ने हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बीच अंतर बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म जहां सर्वव्यापी और सबको समाहित करने वाला विचार है वहीं हिंदुत्व इसका एक संकीर्ण दृष्टिकोण सामने रखता है.

उनके अनुसार, गोमांस खाने के मुद्दे पर राजनैतिक दलों के विचार हर राज्य के लिए अलग-अलग हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि सभी को संविधान के तहत अल्पसंख्यकों सहित सभी भारतीयों को प्राप्त नागरिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए.

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''अहिंसा, सत्य और स्वीकार्यता के सिद्धांतों के उल्लंघन जैसे गैर-हिंदू पक्ष ही हिंदुत्व की सबसे बड़ी बाधा हैं.''

विनय सहस्रबुद्धे कहते हैं कि हिंदुत्व को हमेशा गलत संदर्भों में समझा गया है. हिंदुत्व और हिंदूवाद दोनों अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक ही सत्य तक पहुंचने के दो अलग-अलग मार्ग हैं.

उनके अनुसार, कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति के फलस्वरूप मुसलमान पिछड़ते चले गए क्योंकि कांग्रेस ने मुसलमानों की प्रगति में मदद करने में दिलचस्पी नहीं ली, बल्कि उन्हें केवल एक वोट बैंक के रूप में देखा है, जो भाजपा नहीं कर रही है.

''दुर्भाग्य से, बहुत-से लोगों ने हिंदुत्व को गलत संदर्भों में देखा है और यह एक ऐसा निरीह प्राणी बन गया है जिस पर शशि थरूर जैसे लोग चाबुक बरसाकर आनंद लेते हैं.''

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