NSUI अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे रॉकी तुषीर की याचिका पर हाईकोर्ट ने किया फैसला सुरक्षित

डूसू के चुनावों मे नामांकन रद्द होने के बाद 12 सितंबर को एनएसयूआई अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे रॉकी तुषीर की डीयू के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया हैं.

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NSUI  ( फाइल फोटो ) NSUI ( फाइल फोटो )

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST

डूसू के चुनावों मे नामांकन रद्द होने के बाद 12 सितंबर को एनएसयूआई अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे रॉकी तुषीर की डीयू के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया हैं. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रॉकी तुषीर की तरफ से पेश हुए वकील पी चिदंबरम ने कहा कि शिवाजी कॉलेज ने रॉकी तुषीर को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था, अनुशासनहीनता की कोई कारवाई नहीं की गई थी, न ही कॉलेज ने उसे रस्टीकेट किया था, न ही कोई कड़ी कारवाई की गई थी, उसी कॉलेज के प्रिंसीपल ने बाद में गुड करैक्टर का सर्टिफिकेट दिया था.

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रॉकी तुषीर के बचाव में पेश हुए वकील पी चिदंबरम ने कहा कि उसका कोई क्रिमिनल रिकोर्ड भी नही है. डीयू के रिड्रेसल कमेटी ने भी रॉकी को नही सुना. रॉकी तुषीर के खिलाफ जिस शिकायत पर उसकी उम्मीदवारी रद्द की गई, उस पर उसको अपना पक्ष तक रखने का मौका नही दिया गया. इसी लिए उन्होने कोर्ट का रुख किया है.

दिल्ली यूर्निवर्सिटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि रॉकी तुषीर की शिवाजी कॉलेज में एंट्री ही बैन कर दी गई थी. क्योंकि वे एन्टी सोशल एक्टीविटी में लिप्त पाया गया था. हालांकि उसके माफी मांगने के बाद उसको कॉलेज ने परीक्षा देने की इजाजत दे दी थी. कॉलेज की तरफ से ये अनुशासनहीनता की कारवाई थी इसे वार्निंग भर कैसे भी कहा जा सकता है.

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याचिकाकर्ता रॉकी तुषीर ने अपनी याचिका मे कहा है कि 2016 में वह डीयू, नार्थ कैंपस में एमए बुद्विज्म का छात्र था. उस समय उन्होंने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और जीता थी. उस समय भी उन्होंने अपनी शिक्षा और बाकी की व्यक्तिगत जानकारी से जुड़े दस्तावेज दिए थे. तब डीयू ने उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका था. तो फिर अब क्यों किया जा रहा है. इसके अलावा जिस 300 रुपये के फाइन और दो दिन के सस्पेंड करने की बात की जा रही है वह चार साल पुरानी बात है. हाल ही में डीयू के शिवाजी कॉलेज ने उन्हें गुड मोरल करेक्टर का सर्टिफिकेट जारी किया है. ऐसे में उनका नामाकंन रद्द करना पूरी तरह से गलत है. याचिका मे एनएसयूआई अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे रॉकी तुषीर ने डीयू के फैसले को निरस्त कर उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत देने की गुहार लगाई है.

बता दें कि एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि जब वो डीयू प्रशासन के पास इस मुद्दे पर अपनी शिकायत लेकर गए तो उनकी बात नहीं सुनी गई. डीयू एबीवीपी के दबाव में ऐसा कर रहीं है. 12 सितंबर को डूसू चुनाव के लिए मतदान होना है लिहाज़ा कोर्ट से आने वाले फैसले पर सबकी नजरें है.

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