सरकार के कामकाज पर उठ रहे सवालों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने मंत्रालयों से 15 महीने के काम की रिपोर्ट मांगी है. इसकी तुलना यूपीए-2 के पहले 15 महीनों के काम से करने को कहा गया है.
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही कामकाज की समीक्षा शुरू की है. बहुत से मंत्रालयों को प्रजेंटेशन में सुधार कर दोबारा देने को कहा गया है.
पीएमओ ने यह सब मांगा प्रजेंटशन में
1. मंत्रालयों से कहा गया है कि मोदी सरकार के बचे हुए कार्यकाल के लिए क्या लक्ष्य हैं, साफ लिखें.
2. सही-सही बताएं कि उन निर्धारित लक्ष्यों में से कितने सही समय पर हासिल किए जा सकते हैं.
3. कितने प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है, कितने शुरू किए हैं, वे कब तक पूरे होंगे और संचालन कब होगा.
4. यदि कोई मंत्रालय इंडस्ट्रियल पार्क लगा रहा है तो उससे कितने लोगों को नई नौकरियां मिलेंगी.
5. केंद्र सरकार की योजनाओं पर राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए आगे की क्या योजना है.
राज्य मंत्री बना रहें हैं प्रजेंटेशन
पिछली सरकार से काम की तुलना वाली ये प्रजेंटेशन राज्य मंत्री बना रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक उनसे यह इसलिए बनवाई जा रही है ताकि सुनिश्चित किया जाए कि उनके वरिष्ठ मंत्री जो अपने जूनियर मंत्री को काम सौंपते हैं वे भी उनमें शामिल रहें.
यूपीए-2 से तुलना इसलिए
मार्च 2010 में बाजार गिरना शुरू हो गया था. 2010 की गर्मियां आते-आते यूपीए-2 के कॉमनवेल्थ और 2जी जैसे घोटाले उजागर हुए थे. अगस्त-सितंबर तक सरकार में पॉलिसी पैरालिसिस की स्थिति पैदा हो गई थी.
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