हाशिमपुरा जनसंहार: 16 पूर्व PAC जवानों को अदालत का नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1987 के हाशिमपुरा जनसंहार मामले में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2015,
  • अपडेटेड 12:24 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1987 के हाशिमपुरा जनसंहार मामले में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया है.

हाशिमपुरा जनसंहार मामले में इन सभी पुलिसकर्मियों पर मेरठ में 42 मुस्लिम युवकों की हत्या का आरोप है. निचली अदालत द्वारा इन सभी पूर्व पुलिसकर्मियों को बरी करने के फैसले को उत्तर प्रदेश की सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

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याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश न्यायमूर्ति जी.एस. सिस्तानी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पुलिसकर्मियों को 21 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ पीड़ितों के परिजनों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दायर किए गए मामलों की सुनवाई भी 21 जुलाई को ही होगी.

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी के पूर्व जवानों को बरी करने वाले निचली अदालत के फैसले में खामियां हैं. निचली अदालत ने 21 मार्च को अपने फैसले में सभी आरोपी जवानों को हत्या, हत्या का प्रयास, सबूत के साथ छेड़छाड़ और षड्यंत्र के आरोपों से बरी कर दिया था.

राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि निचली अदालत ने जीवित बचे लोगों के बयानों की भी अनदेखी की. मामले में 19 लोग आरोपी थे, जिनमें से तीन आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी. अदालत ने जिन लोगों को बरी किया था उनमें सुरेश चंद्र शर्मा, निरंजन लाल, कमल सिंह, रामबीर सिंह, समीउल्लाह, महेश प्रसाद, जयपाल सिंह, राम ध्याम, सरवन कुमार, लीलाधर, हमवीर सिंह, कुंवर पजल सिंह, बुद्ध सिंह, बुधी सिंह, मोखम सिंह और बसंत वल्लभ का नाम शामिल है.

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निचली अदालत ने 16 आरोपियों को उनकी पहचान के लिए पर्याप्त सबूतों के अभाव में उन्हें संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले में पीड़ितों और प्रभावितों के परिवारों को पुनर्वासित किया जाना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि पीएसी की 41वीं वाहिनी के जवानों ने मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर एक तलाशी अभियान के दौरान पीड़ितों को उनके मोहल्ले से उठा लिया था. इसके बाद 22 मई 1987 को उनकी हत्या कर दी गई थी.

इनपुट: IANS

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