अनुभवी ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने शनिवार को स्पष्ट कर दिया कि पंजाब सरकार ने खेल रत्न अवॉर्ड के लिए उनका नामांकन क्यों वापस ले लिया. हरभजन ने कहा है कि उन्होंने खुद ही पंजाब सरकार से अपना राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नामांकन वापस लेने के लिए कहा है. शनिवार को हरभजन ने कई ट्वीट करते हुए बताया कि वह इस पुरस्कार के लिए योग्य नहीं हैं.
हरभजन ने पहले ट्वीट में लिखा, 'दोस्तो! मेरे पास कई लोगों के फोन आ रहे हैं जो पूछ रहे हैं कि पंजाब सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार के लिए मेरा नामांकन वापस क्यों ले लिया. सच्चाई यह है कि मैं खुद खेल रत्न अवॉर्ड के लिए योग्य नहीं हूं, क्योंकि इसके लिए बीते तीन साल का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन देखा जाता है.'
हरभजन ने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'इसमें पंजाब सरकार की कोई गलती नहीं है, क्योंकि उन्होंने मेरा नाम वापस लेकर सही किया. मैं अपने मीडिया के दोस्तों से अपील करता हूं कि वह इस बात को लेकर अटकलें नहीं लगाएं. धन्यवाद.'
उन्होंने लिखा, 'मेरे खेल रत्न अवॉर्ड के नामांकन को लेकर कई तरह के भ्रम और अटकलें हैं, इसलिए मैं साफ कर देता हूं. हां, पिछले साल मेरा नामांकन देर से भेजा गया था, लेकिन इस साल मैंने ही पंजाब सरकार से नामांकन वापस लेने को कहा, क्योंकि मैं तीन साल वाले योग्यता पैमाने में नहीं आता हूं.'
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पिछले साल पंजाब सरकार ने हरभजन का खेल रत्न का नामांकन आखिरी तारीख निकलने के बाद भेजा था, जिसे खेल मंत्रालय ने रद्द कर दिया था. इस बार हालांकि नामांकन समय पर भेजा गया था, लेकिन राज्य सरकार ने बिना किसी सफाई के इसे वापस ले लिया.
हरभजन टी 20 वर्ल्ड कप 2007 और वर्ल्ड कप 2011 जीतने वाली भारतीय टीम के हिस्सा थे. 417 विकेटों के साथ, वह अनिल कुंबले (619) और कपिल देव (434) के बाद टेस्ट क्रिकेट में भारत के तीसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं.
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