चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7 फीसदी रही विकास दर

देश की अर्थव्यवस्था की चाल थोड़ी धीमी हुई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल की प्रथम तिमाही में देश की विकास दर सात फीसदी रही, जो इससे एक तिमाही पहले 7.5 फीसदी थी और गत वर्ष की समान तिमाही में 6.7 फीसदी थी.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST

देश की अर्थव्यवस्था की चाल थोड़ी धीमी हुई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल की प्रथम तिमाही में देश की विकास दर सात फीसदी रही, जो इससे एक तिमाही पहले 7.5 फीसदी थी और गत वर्ष की समान तिमाही में 6.7 फीसदी थी.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, इस तिमाही में वाणिज्यिक सेवा क्षेत्र के 12.8 फीसदी विकास, वित्तीय सेवा के 8.9 फीसदी विकास और विनिर्माण उत्पादन के 7.2 फीसदी विकास ने सात फीसदी विकास दर हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाई. इस दौरान कृषि विकास दर 1.9 फीसदी, खनन विकास दर चार फीसदी, ऊर्जा विकास दर 3.2 फीसदी, निर्माण क्षेत्र की विकास दर 6.9 फीसदी और रक्षा सेवाओं की विकास दर 2.7 फीसदी रही.

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सीएसओ ने एक बयान में कहा है, '2015-16 की प्रथम तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्य में जीडीपी 27.13 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, जबकि 2014-15 की प्रथम तिमाही में यह 25.35 लाख करोड़ रुपये थी. यह सात प्रतिशत विकास दर को दर्शाती है.' बयान में कहा गया है, '2015-16 की प्रथम तिमाही के लिए स्थिर (2011-12) मूल्य में तिमाही जीवीए (सकल मूल्यवर्धित) 25.80 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, जबकि 2014-15 की प्रथम तिमाही में यह 24.10 लाख करोड़ रुपये था. यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 7.1 प्रतिशत वृद्धि दर दर्शाता है.'

जीवीए किसी खास सेक्टर या किसी उद्योग समूह में वस्तु एवं सेवा उत्पादों के मूल्य को मापने का एक पैमाना है, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान समान अवधि में 7.4 प्रतिशत था. जीडीपी में गिरावट पर भारतीय उद्योग जगत ने मिश्रित प्रतिक्रिया जाहिर की है. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने कहा, "यद्यपि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सात प्रतिशत विकास दर भी उत्सावर्धक है, लेकिन रोजगार सृजन की जरूरतों के मद्देनजर हमें इस आंकड़े को ऊपर ले जाने की आवश्यकता है.'

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अभी मजबूत है अर्थव्यवस्था
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'प्रभावशाली जीडीपी वृद्धि दर इस धारणा को मजबूत करता है कि अर्थव्यवस्था एक बदलाव का संकेत दे रही है और यह सुधार के पथ पर है.' एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, 'कृषि, खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य युटिलिटी सेवाएं चिंता के प्रमुख कारण बने हुए हैं, हालांकि व्यापार, होटल और संचार तथा निर्माण सेक्टरों में कुछ प्रगति दिखाई दी है.'

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