सरकार ने जारी किया Aarogya Setu का सोर्स कोड, खामी ढूंढने पर मिलेगा इनाम

Aarogya Setu ऐप को लेकर लॉन्च के बाद से ही प्राइवेसी से जुड़े सवाल उठने लगे थे. कई मांगों में से एक ये भी था कि इस ऐप का सोर्स कोड जारी किया जाए. सरकार ने अब इस ऐप के एंड्रॉयड वर्जन का सोर्स कोड जारी कर दिया है. अगले दो हफ्तों के अंदर iOS का भी सोर्स कोड जारी करने की बात कही गई है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2020,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

Covid-19 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप Aarogya Setu का सोर्स कोड पब्लिक कर दिया गया है. पिछले कुछ हफ्तों से इस ऐप को लेकर प्राइवेसी एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं. इसके साथ ही इसके सोर्स कोड को पब्लिक करने की भी मांग थी.

NITI Ayog ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस ऐप के सोर्स कोड को पब्लिक करने का ऐलान किया है. NITI Ayog के मुताबिक इस ऐप लॉन्च के 41 दिन के अंदर ही इसे 10 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है. फिलहाल आरोग्य सेतू एंड्रॉयड ऐप का सोर्स कोड जारी किया गया है.

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आने वाले कुछ समय में सरकार iOS और KaiOS वर्जन आरोग्य सेतू ऐप का भी सोर्स कोड जारी कर सकती है. GitHub पर आरोग्य सेतू ऐप का सोर्स कोड लाइव कर दिया गया है. सरकार ने दावा किया है कि दुनिया में पहली बार इतने बड़े स्केल के किसी कोविड ट्रेसिंग ऐप का सोर्स कोड जारी किया गया है.

गौरतलब है कि सिंगापुर ने अपने ट्रेस टुगेदर ऐप का सोर्स कोड काफी पहले ही जारी किया था, हालांकि सिंगापुर की आबादी के हिसाब से वहां के इस ऐप के भारत जितने यूजर्स नहीं हैं.

यहां क्लिक करके आप इस ऐप का सोर्स कोड देख सकते हैं.

नेशनल इनफॉरमेटिक्स सेंटर यानी NIC जो इस ऐप की डेवेलपर है, इसने इस ऐप के लिए बग बाउंटी का भी ऐलान किया है. यानी इस ऐप में खामाी ढूंढने वाले को इनाम दिया जाएगा.

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क्या होगा इसका फायदा?

इस ऐप का सोर्स कोड जारी होने के बाद अब सिक्योरिटी टेस्ट करने वाले डेवेलपर्स और हैकर्स इस ऐप को बेहतर तरीके से टेस्ट कर पाएंगे. इस ऐप की खामियां और खूबियां निकल कर सामने आएंगी जिससे इस ऐप को प्राइवेसी के लिहाज से बेहतर किया जा सकेगा.

क्या होता है ऐप का सोर्स कोड?

ऐप का सोर्स कोड उसका बेसिक प्रोग्राम होता है जिसे डेवेलपर या प्रोग्रामर तैयार करते हैं. इसे एक आम यूजर आसानी से पढ़ और समझ सकता है.

सोर्स कोड को आप ऐप के कमांड्स का बेसिक स्ट्रक्चर की तरह समझ सकते हैं. इसमें ऐप के सभी कमांड्स होते हैं. इसे यूज करके इंडिपेंडेंट रिसर्चर ये टेस्ट कर सकते हैं कि ऐप काम कैसे करता है. आम तौर पर ऐप की ट्रांसपेरेंसी मेनेटन रखने के लिए ऐप का सोर्स कोड जारी करने की मांग की जाती है.

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