गांधी के नाम पर बने 86 फीसदी पीठ में नहीं हो रहा कोई काम!

देश भर की विभिन्न संस्थाओं में कुल 137 गांधी चेयर मंजूर हुए हैं. इनमें से महज 19 ही अभी 'सक्रिय' हैं.

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महात्मा गांधी (फाइल फोटो) महात्मा गांधी (फाइल फोटो)

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST

मोदी सरकार देश में जोर-शोर से महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रही है. लेकिन इस बीच एक दिलचस्प जानकारी यह सामने आई है कि देश में महात्मा गांधी के नाम पर बने चेयर (पीठ) में से 86 फीसदी निष्क्रिय हैं, यानी उनमें कोई काम नहीं हो रहा.

गौरतलब है कि देश भर की विभिन्न संस्थाओं में कुल 137 गांधी चेयर मंजूर हुए हैं. इनमें से महज 19 ही अभी 'सक्रिय' हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, वर्धा यूनिवर्सिटी के अलावा बाकी सभी यूनिवर्सिटी में गांधीवादी विचार का अध्ययन करने वाले या रिसर्च करने वाले लोगों की संख्या में पिछले एक दशक में भारी गिरावट आई है. पिछले महीने एक बैठक में संस्कृति मंत्रालय ने पीएमओ को यह जानकारी दी थी.

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असल में यह जानकारी तब सामने आई, जब कई मंत्रालय और विभागों ने यह सुझाव दिया था कि महात्मा गांधी के नाम पर और नए संस्थान तथा पीठ खोल जाने चाहिए. इस पर संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने उक्त जानकारी दी.

महात्मा गांधी के नाम पर बनने वाले पीठों और विभागों में गांधी के दर्शन और कार्यों पर केंद्रित अनुसंधान, नीति और उनके प्रसार पर काम किया जाता है.

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के वाइसचांसलर गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी जॉब बाजार में गांधी के विचारों और शिक्षण को प्रासंगिक बनाना सबसे बड़ी चुनौती है.

असल में सिर्फ गांधी के विचारों के मामले में ही नहीं, बल्कि पूरे सामाजिक विज्ञान वर्ग में देखें तो स्टूडेंट्स का रुझान इसमें काफी कम हुआ है. छात्र-छात्राओं को लगता है कि सिर्फ गांधीवाद पर रिसर्च करने से पैसे और अवसरों के लिहाज से उन्हें भविष्य में बहुत फायदा नहीं मिलने वाला. इसलिए कई संस्थानों ने अब दो साल के सोशल वर्क मास्टर कोर्स में ही गांधीवाद को शामिल कर लिया है.

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