अब ऑफलाइन डेबिट/क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग पर रहेगी गूगल की नजर, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) के पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डेविड वेनेबल से हमने इस मामले पर बातचीत की है.

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गूगल की ऑफलाइन ट्रांजैक्शन पर नजर गूगल की ऑफलाइन ट्रांजैक्शन पर नजर

मुन्ज़िर अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2017,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

गूगल अब आपकी ऑफलाइन शॉपिंग पर भी नजर रख सकते हैं. कंपनी करोड़ों यूजर्स के क्रेडिट और डेबिट कार्ड को ट्रैक करने की तैयारी में है. इसकी वजह विज्ञापन है, यानी गूगल ऐसा ऑनलाइन विज्ञापन के लिए कर रही है ताकि ऑफलाइन खर्च किए गए पैसों को ऑनलाइन कंपेयर कर सके.

गूगल ने कहा है कि अमेरिका में कंपनी ने 70 फीसदी क्रेडिट और डेबिट कार्ड के ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया है.

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अगर आपको नहीं पता तो जान लीजिए. गूगल न सिर्फ सर्च इंजन है, बल्कि यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली विज्ञापन नेटवर्क में से एक है. लेकिन यह इसके लिए काफी नहीं है. क्योंकि अब गूगल ने आपकी ऑफलाइन खरीदारी ट्रैक करने का मन बनाया है.

सोच रहे होंगे गूगल आपकी ऑफलाइन ट्रांजैक्शन पर कैसे नजर रखेगा. आपको बता दें कि गूगल ने ऐसी कंपनियों के साथ पार्टनर्शिप की है जो ऑफलाइन खरीदारियों का ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं. ऐसे ही गूगल के पास अमेरिका के 70 फीसदी डेबिट क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन का ट्रैक रहता है.

अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) के पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डेविड वेनेबल से हमने इस मामले पर बातचीत की है.

वेनेबल ने कहा है कि गूगल का यह कदम उसे विज्ञापन को ट्रैक करने में मदद तो करेगा, लेकिन साथ ही उनके ऐल्गोरिद्म को और भी मजबूत करेगा. डेविड के मुताबिक यह निश्चित तौर पर यूजर्स की पर्सनल जिंदगी में दखल देगा. क्योंकि आने वाले समय में संभवतः दूसरी विज्ञापन देने वाली कंपनियों को भी यूजर्स की असल जिंदगी मे दखल देन में मदद करेगा.

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उन्होंने इसपर चिंता जताते हुए कहा है कि गूगल द्वारा एकत्र किए गए डेटा का (संभावित) गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. दूसरी विज्ञापन देने वाली कंपनियां भी इन डेटा का गलत इस्तेमाल कर सकती हैं.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स और प्राइवेसी के जानकार इसे गलत मानते हैं, लेकिन गूगल को इसमें कोई बुराई नहीं दिखती. ऐसा इसलिए क्योंकि गूगल का बिजनेस मॉडल ही ऐसा है.

हालांकि गूगल को इनमें से सिर्फ इतनी ही जानकारी मिल पाएग कि यूजर ने तय समयसीमा में कितना खर्च किया. गूगल ने कहा है कि वो ये नहीं ट्रैक कर सकेगा कौन क्या खरीद रहा है. यानी आपने कब कितना खर्च किया ऐसी जानकारी गूगल के पास होगी.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऑनालइन ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग के लिए गूगल के पास अपने टूल्स हैं. लेकिन अब ऑफलाइन पर भी गूगल की नजर है. इसके पीछे गूगल की दलील यही है जो दूसरे करते हैं. यानी आपको बताया जाता है कि यह आपके फायदे के लिए है. आपको बेहतर विज्ञापन दिखाए जाएंगे ताकि खरीदारी करने में आसानी हो.

विक्रेताओं की सहूलियत के लिए बनया गया है इसे, लेकिन यूजर का हित कहां?
गूगल का कहना है कि इस नई ऑफलाइन ट्रैकिंग के बाद अब जैसे ही डिजिटल विज्ञापन को देखकर कोई यूजर किसी ऑफलाइन स्टोर से खरीदारी करेगा तो मर्चेंट को इसकी जानकारी ऑटोमैटिकली चली जाएगी. इससे पहले ऐसा नहीं था, क्योंकि यूजर डिजिटल ऐड पर क्लिक करते थे जिससे विज्ञापन देने वाले मर्चेंट्स को इसकी जानकारी नहीं होती थी कि उस विज्ञापन से इंस्पायर होकर ऑफलाइन स्टोर से यूजर ने खरीदारी की है या नहीं. इससे मर्चेंट्स को ऐसा लगेगा कि उनके द्वारा विज्ञापन पर खर्च किया गया पैसा बेकार गया.

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यानी यह ऑफलाइन ट्रैकिंग पूरी तरह से डिजिटल विज्ञापन और मर्चेंट्स के हित में है. इससे यूजर्स प्रभावित हो सकते हैं, खासकर वो जो अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित रहते हैं.

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