इंडस्ट्री और रेटिंग एजेंसीज को ब्याज दरों में कटौती की दरकार

रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. रेटिंग एजेंसी मूडीज का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति के 8 माह के उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है.

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File Image: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया File Image: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. रेटिंग एजेंसी मूडीज का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति के 8 माह के उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है. इसके साथ ही बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच (BofA-ML) ने भी दावा किया है कि जुलाई में बेहतर मानसून रहने की स्थिति पर आरबीआई ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है.

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मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी आधार प्रभाव की वजह से हुई है. मूडीज एनालिटिक्स के सहायक अर्थशास्त्री फराज सैयद ने शोध नोट में कहा, हमारा अभी भी मानना है कि केंद्रीय बैंक 2015 में ब्याज दरों में एक और कटौती करेगा .

वहीं बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच की रिपोर्ट के मुताबिक भारत कारोबारी तेजी लाने के लिए सरकार के आर्थिक सुधारों में ज्यादा अहम आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती करना है.

उद्योग जगत ने की ब्याज दरों में और कटौती की मांग
थोक मुद्रास्फीति में गिरावट पर उद्योग जगत ने मंगलवार को कहा कि ऐसे समय जब औद्योगिक वृद्धि दर धीमी पड़ रही है मांग को गति देने तथा निवेश बढ़ाने के लिये जरूरी है कि रिजर्व बैंक प्रमुख नीतिगत दर में बड़ी कटौती करे.

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फिक्की
उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सुरी ने कहा, उद्योग चाहेगा कि नीतिगत दर में गहरी कटौती हो और बैंक भी उसी अनुपात में ब्याज दर में कटौती कर आगे उसका लाभ दें.

सीआईआई
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ....मुद्रास्फीति के नरम परिदृश्य को देखते हुए ऐसे समय जब औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन धीमा है, रिजर्व बैंक को अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती जारी रखनी चाहिए ताकि निवेश को समर्थन मिल सके और उपभोग मांग बढ़े.

एसोचैम
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, मई महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कम रहने को देखते हुये यह जरूरी हो गया है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दर में कटौती करे ताकि मांग बढ़े और उसकी के अनुरूप आपूर्ति में भी प्रतिक्रिया हो.

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