गाजियाबाद: हाइराइज का नया हब

नोएडा-दिल्ली में घर की कीमत अफोर्ड नहीं करने वाले युवा प्रोफेशनल्स और रिटायर लोगों के लिए नया ठिकाना.

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गाजियाबाद गाजियाबाद

संतोष कुमार

  • गाजियाबाद,
  • 09 फरवरी 2013,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

एयर फोर्स में ग्रुप कैप्टन पद से रिटायर 44 वर्षीय संजीव रैली ने अब गाजियाबाद के एनएच-24 से सटे क्रॉसिंग रिपब्लिक की गगनचुंबी इमारतों में ही अपना आशियाना ढूंढ लिया है. वे कहते हैं, ''मुझे एयरफोर्स में जितनी सुविधाएं उपलब्ध थीं, वे सारी सुविधाएं यहां एक ही जगह पर उपलब्ध हो गई हैं, गाजियाबाद में ही ऐसा बेहतर विकल्प मिल जाने से मैं अपने सभी नाते-रिश्तेदारों के नजदीक भी हूं.” कैप्टन रैली दंपती को यहां की जीवनशैली इस कदर भा गई है कि वे इस इलाके को एनसीआर में रिहाइश का बेहतरीन विकल्प बताते हैं.

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गाजियाबाद में 1987-88 से कौशांबी से शुरू हुआ हाइराइज इमारतों का दौर इंदिरापुरम, वैशाली, वसुंधरा से होते हुए अब क्रॉसिंग रिपब्लिक और राजनगर एक्सटेंशन तक पहुंच गया है. गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के सचिव आर.के. सिंह कहते हैं, ''जमीन असीमित नहीं है. हमें सीमित संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल करना है, इसलिए वर्टिकल में जाना होगा. लेकिन साथ ही बुनियादी सुविधाओं के लिए ढांचागत निर्माण भी जरूरी है.”

सिर्फ जमीन की कमी ही नहीं, उसकी बढ़ती कीमत ने भी बिल्डरों और उपभोक्ताओं को हाइराइज की ओर बढऩे को मजबूर किया है. गगनचुंबी इमारतों का नया ठिकाना बना क्रॉसिंग रिपब्लिक कुल 360 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें 30 फीसदी एरिया को कवर्ड रखा गया है और बाकी खुला क्षेत्र है. देश के सात डेवलपर्स गौरसंस, एसोटेक, अजनारा, पैरामाउंट, पंचशील, सुपरटेक और महागुन ने मिलकर क्रॉसिंग रिपब्लिक नाम से एसोसिएशन बनाई है, जो इस पूरी टाउनशिप को बसाने का काम कर रही है.

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क्रॉर्सिंग रिपब्लिक के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) अशोक कुमार बताते हैं, ''इस क्षेत्र की योजना इस तरह बनाई गई है कि मात्र 10 मिनट की पैदल दूरी तय करने पर लोगों को शॉपिंग मॉल, अस्पताल, स्कूल, पार्क जैसी सुविधाएं मिल जाएं.” हिंडन एयरबेस होने की वजह से हाइराइज के लिए एयरपोर्ट अथॉरटी ऑफ इंडिया (एएआइ) से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है. फिलहाल एएआइ ने 93 मीटर की ऊंचाई की अनुमति दे रखी है, जिस पर अधिकतम 30 मंजिल इमारत खड़ी की जा सकती है.

गाजियाबाद में अब तक की सबसे ऊंची इमारत इसी टाउनशिप में पंचशील की है, जो 25 मंजिला है, तो पास ही में सुपरटेक 30 मंजिल की सबसे ऊंची इमारत बना रहा है. इसके अलावा इसी क्षेत्र में सेवियर बिल्डर ने 25 मंजिल के नौ टावर एक साथ तैयार किए हैं. सेवियर के डायरेक्टर संजय रस्तोगी कहते हैं, ''जहां ऊंचाई की बंदिश नहीं है और डेनसिटी ज्यादा है तो वहां हाइ-राइज के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

हाइराइज के बढ़ते ट्रेंड के बारे में रस्तोगी बताते हैं कि जब उन्होंने इंदिरापुरम में छह और नौ मंजिल की इमारत बनाई थी, तब उन्हें डर था कि यह बिकेंगी या नहीं. लेकिन अब उनका क्रॉसिंग रिपब्लिक का 25 मंजिला टावर भी पूरी तरह से बिक चुका है. वे कहते हैं, ''लोगों में अब हाइट फोबिया नहीं रहा.” राजनगर एक्सटेंशन में बहुमंजिला इमारत बना रहे दिव्य एंजल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर संदीप गुप्ता कहते हैं, ''एक्सप्रेस-वे, हिंडन पर ब्रिज और मेट्रो के आने से एनसीआर में यह फोकस एरिया होगा.” यहां 10 से 20 मंजिला इमारतें आम लोगों के आशियाने के ख्वाब को पूरा करने का काम कर रही हैं. यहां दो कमरे का फ्लैट 20-25 लाख रु. में मिल जाता है.

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गगनचुंबी इमारत के निर्माण के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल होता है और स्ट्रक्चर के निर्माण में लागत ज्यादा आती है, जिससे फ्लैट की कीमत ज्यादा होती है. इसलिए हाइराइज बिल्डिंगों में फ्लैट खरीदने वाले लोग मुख्यत: मध्यम वर्ग और उसके ऊपर की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले हैं. चूंकि एनसीआर में अभी नोएडा-गुडग़ांव-दिल्ली के मुकाबले गाजियाबाद सस्ता है, इसलिए नोएडा में आइटी और कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले युवा गाजियाबाद की गगनचुंबी इमारतों में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं. ढाई साल पहले यहां फ्लैट की कीमत 1,800-2,000 रु. प्रति वर्ग फुट थी जो अब 3,500 रु. तक पहुंच गई है. भविष्य में मेट्रो ट्रेन का दोनों तरफ से परिचालन इसके विकास को नई रफ्तार देगा. हालांकि लोकेशन इस क्षेत्र की मजबूती है तो ट्रैफिक जाम कमजोरी. लेकिन ढांचागत निर्माण की भविष्य की योजना इसे नई ऊंचाई देगी.

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